महात्मा गांधी के कुछ कदम जिनका महत्व आज भी !

महात्मा गांधी के कुछ कदम जिनका महत्व आज भी !

2अक्टूबर 1869 को राष्ट्रपति महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ था। गांधी जी का जन्म हर हिंदुस्तानी के लिए के लिए सौभाग्य की शुरूआत था। 2 अक्टूबर का दिन हमारे देश में अंतरराष्ट्रीय दिवस होता है । जिसका एक मात्र उद्देश्य ये होता है की आने वाली पीढ़ी को इस दिन का महत्व पता चले व वे भारत का इतिहास समझ पाए और क्योंकि बापू ने आज़ादी की ओर सबसे ज्यादा योगदान दिया था इसीलिए सभी भारत वासियों को उनके कार्य से एक दिन की फुरसत के लिए ये दिन छुट्टी देने वाले दिन में परिवर्तित किया गया ।

महत्मा गांधी जी का असली नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था जिन्हें हम बापू भी कहते है । जिनके जीवन के दो सिद्धांत थे सत्य और अहिंसा। इसी कारण के चलते 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया गया । आज के दिन सिर्फ हमारा देश ही नहीं बल्कि परदेश में भी अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का महत्व है । भारत सदियों से गुलामी करता आ रहा था उसे आज़ादी का पाठ गांधी ने पढ़ाया ।

महत्मा गांधी का आज़ादी दिलाने का संघर्ष 1915 से शुरू हो चुका था । 9 जनवरी 1915 के दिन जब बापू विदेश से अपनी शिक्षा प्राप्त कर देश में वापस लौटे थे तब उन्होंने नागरिकों की जो हालत देखी उस दृश्य ने बापू को मजबूर कर दिया की वो अंग्रेजो के खिलाफ़ आवाज उठाए ।

 

बापू ने कई सारे आंदोलन चलाए थे जिनमे से उनके परमुख आंदोलन ये थे :

1. चंपारण सत्याग्रह 1917

2. खेड़ा सत्याग्रह 1918

3. अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 1918

4. खलीफा आंदोलन 1919

5. असहयोग आंदोलन 1920

6.सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930

7. भारत छोड़ो आंदोलन 1942

चंपारण सत्याग्रह 1917

भारत के राज्य बिहार में किसानों को खाद फसल उगाने नहीं दिया जाता था । जमींदार किसानों को नील ( indigo plantation) की खेती करने के लिए मजबूर करते थे। किसानों की नील की खेती के दाम भी बहुत सस्ते लगाए जाते थे जिससे किसानों की आर्थिक व्यवस्था बहुत ही कमजोर होती थी । गांधी जी का यह आंदोलन ब्रिटिश जमींदार के खिलाफ था जिससे कि वह किसानों को नीली खेती के साथ साथ और भी फसलों की खेती करने दे और उनके दाम अच्छे लगाए ।

खेड़ा सत्याग्रह 1918

भारत के राज्य गुजरात कि खेड़ा क्षेत्र में अचानक बाढ़ सूखा पड़ने की वजह से किसानों की खेती ना होने के कारण उनके आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर हो गई थी । ऐसे में ही किसान अंग्रेजी जमींदारों से माफी की मांग कर रहे थे लेकिन अंग्रेजों द्वारा किसानों का उत्पीड़न किया जाता था। और उन को बंदी बना लिया जाता था किसानों की यह समस्या दूर करने के लिए बापू ने इस आंदोलन की शुरुआत करी।

अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 1918

गांधी जी का यह आंदोलन मिल मजदूरों के लिए था। इसका मुख्य कारण मिल मालिकों द्वारा बोनस को समाप्त करने के खिलाफ था । जिसके चलते मिल मालिकों ने 20% बोनस देने की सहमति दी परंतु उस समय 35% की मांग की गई थी । इस आंदोलन के बाद महात्मा गांधी को केवल राज्य में ही नहीं पूरे देश भर में भी जाना जाने लगा था।

खलीफा आंदोलन 1919

महात्मा गांधी जी का खलीफा आंदोलन बहुत ही प्रसिद्ध रहा जिसका कारण तुर्की के लिए अंग्रेजों द्वारा काम करने के खिलाफ था। गांधीजी इस आंदोलन के मुख्य प्रवक्ता थे गांधीजी ने अंग्रेजो द्वारा दिए गए सम्मान और मैडम को वापस कर दिया था।

असहयोग आन्दोलन 1920

गांधी जी का एक और बहुत ही प्रसिद्ध और बड़ा आंदोलन था असहयोग आंदोलन जिसे अंग्रेजी में नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट भी कहते हैं । गांधी जी का कहना था अंग्रेजों ने अपनी सत्ता भारत में तब स्थापित करें जब भारत वासियों ने उनका सहयोग किया । तो यह आंदोलन अंग्रेजों की कोई भी बात ना मानने के ऊपर निर्धारित था। भारत वासियों को अंग्रेजी वस्त्र छोड़कर अपने खुद के भारत के खादी वस्त्र पहनने का निर्देश भी दिया गया था।

भारत छोड़ो आंदोलन 1942

गांधी जी का यह आखिरी आंदोलन जो कि भारत छोड़ो आंदोलन था । वह आंदोलन बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका के साथ निभाया गया था इस आंदोलन में गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया था जिसका एकमात्र उद्देश्य यह था, कि अब समय आ चुका है जब हम ब्रिटिश गवर्नमेंट को भारत से भागने के लिए मजबूर के दे ।

इन आंदोलनों के चलते भारत में सफलता भी प्राप्त करें और 1947 के 15अगस्त वाले दिन भारत को आजादी मिली।

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