बंदर की स्टेम कोशिकाओं से तैयार किया गया स्पर्म,. इंसानों पर इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा, जानिए इसे कैसे बनाया

पुरुषों में नपुंसकता दूर करने की कोशिश

वैज्ञानिकों ने बंदरों की स्टेम कोशिकाओं से स्पर्म तैयार करने में सफलता पाई है। उनका दावा है कि इस स्पर्म से एग को फर्टिलाइज करने में सफल रहे हैं। यह प्रयोग रीसस बंदरों पर किया गया है। इस नए प्रयोग के जरिए इंसानों में नपुंसकता का इलाज करने में मदद मिल सकेगी।

प्रयोग करने वाली जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है, बंदरों का प्रजनन तंत्र यानी रिप्रोडक्टिव सिस्टम इंसानों से मिलता-जुलता है। इसलिए यह प्रयोग पुरुषों में होने वाली नपुंसकता के इलाज के लिए अहम साबित हो सकता है।

स्पर्म तैयार करने में 5 साल लगे
इस स्पर्म को तैयार करने में वैज्ञानिकों को 5 साल का समय लगा। जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता चार्ल्स एस्ले का कहना है, यह बड़ी खोज है। स्टेम सेल थैरेपी से उन पुरुषों में नपुंसकता का इलाज हो सकेगा जिसमें पर्याप्त मात्रा में स्पर्म नहीं बन पाते।

वैज्ञानिकों का कहना है पुरुषों के स्पर्म में डिफेक्ट होने की कई वजह हो सकती हैं। कैंसर ट्रीटमेंट और इंफेक्शन भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। स्तनधारियों में स्पर्म बनने में एक महीने से अधिक समय लगता है। यह शरीर की जटिल प्रक्रियाओं में से एक है।

ऐसे तैयार हुआ स्पर्म
शोधकर्ताओं का कहना है, बंदरों की स्टेम कोशिकाओं का प्रयोग करके लैब में स्पर्म तैयार किया गया। स्टेम कोशिकाओं को केमिकल, हार्मोन्स और टेस्टिकुलर टिश्यू की मदद से इन्हें स्पर्म सेल्स में कंवर्ट किया गया।

अभी 100 फीसदी तक यह नहीं कहा जा सकता कि यह तकनीक पुरुषों की नपुंसकता का पूरी तरह से इलाज कर देगी। यह एक उम्मीद की तरह है क्योंकि इंसान और बंदरों को प्रजनन तंत्र मिलता-जुलता है।

नए स्पर्म से तैयार भ्रूण को जल्द ही मादा बंदरों में ट्रांसप्लांट करके ट्रायल किया जाएगा।

जल्द होगा ट्रायल
स्पर्म तैयार करने में मिली सफलता के बाद वैज्ञानिक इससे तैयार भ्रूण को मादा बंदर में इम्प्लांट करेंगे। प्रयोग में यह देखा जाएगा कि इससे जन्म लेने वाला बंदर कितना स्वस्थ है।

शोधकर्ता का कहना है, अगर यह ट्रायल सफल होता है तो बंदरों की स्किन की कोशिकाओं से स्पर्म को तैयार करने पर काम किया जाएगा। इसे सफल होने पर एक नया विकल्प तैयार होगा। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि इंसानों में एम्ब्रायोनिक स्टेम सेल्स नहीं होती।

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