जानिए 20 फरवरी को क्यों मनाया जाता है यहाँ भारत का गणतंत्र दिवस?

उज्जैन
26 जनवरी को पूरे देश में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। लेकिन उज्जैन का एक मंदिर ऐसा भी है, जहां गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ना मनाकर तिथि के अनुसार 20 फरवरी को मनाया जाएगा। इसे लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं। वहीं, मंदिर प्रबंधन का इसे लेकर अलग तर्क है।

ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास ने कहा कि भारत आजाद हुआ। इसके बावजूद हम स्वतंत्रता की वजह अंग्रेजों के गुलाम बने हुए हैं। हमारा राष्ट्रीय पर्व भी अंग्रेजी तारीख में मनाया जाता है। गांधीजी ने आजादी की लड़ाई लड़ते हुए यह कहते थे कि अंग्रेजी हटाओ स्वदेशी अपनाओ। लेकिन उनकी पुण्यतिथि और जन्मतिथि भी अंग्रेजी तारीख के अनुसार ही मनाई जाती है। लेकिन हमारे यहां बड़ा गणेश जो गणतंत्र के आराध्य देव हैं।

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उन्होंने कहा कि यहां गणतंत्र की प्राप्ति के लिए पंडित बालगंगाधर तिलक की प्रेरणा से हमारे दादाजी स्वर्गीय नारायण जी व्यास ने उज्जैन में सन उन्नीस सौ आठ माघ कृष्ण चतुर्थी के दिन बड़े गणेश जी की स्थापना की। इसके पीछे उद्देश्य था कि इससे बड़े गणराज्य की प्राप्ति के लिए बड़े गणेश की आवश्यकता है।

ज्योतिषाचार्य ने कहा कि उस समय करीब 39 वर्षों तक आजादी प्राप्ति के लिए यहां उपासना चलती रही थी। ऐसे स्थान पर हम भारत का गणतंत्र पर्व हिंदी तिथि अनुसार ही मनाते हैं। 26 जनवरी 1950 को उस दिन माघ शुक्ल अष्टमी तिथि थी, वास्तव में गणतंत्र की प्राप्ति के लिए भारतीय गणतंत्र की महिमा हमारी तिथि के अनुसार ही होती है। इसलिए हम माघ शुक्ल अष्टमी पर ही गणतंत्र पर्व मनाते हैं। इस दिन गणेश जी की उपासना, क्रांतिकारियों का स्मरण और दादा जी की पूजन आदि करने के साथ मंदिर की ध्वजा बदली जाती है। पंडित व्यास की मांग है

अंग्रेजी तारीखों के बहिष्कार और हिंदी तिथियों के पालन की अनोखी देशभक्ति का सिलसिला करीब 113 साल से चल रहा है। उज्जैन महाकाल मंदिर से चंद कदम दूरी पर स्थित बड़े गणेश मंदिर की स्थापना वर्ष 1908 में माघ कृष्ण चतुर्थी के दिन हुई थी। उस समय पं.बालगंगाधर तिलक के गणेश उत्सव अभियान से प्रेरित होकर पं.नारायण व्यास ने मंदिर की स्थापना की थी। यह मंदिर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की आश्रय स्थली रहा। आजादी के जंग में यह मंदिर भी किए ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा।

पंडित व्यास के जन्मदिन, विवाह, वर्षगांठ व अन्य आयोजन भी तिथि के अनुसार ही मनाए जाते हैं। उनके घर-परिवार में जन्मदिन पर केक काटने या मोमबत्ती बुझाने का चलन नहीं है। पंडित व्यास का कहना है कि मोमबत्ती या दीपक बुझाना अपशगुन होता है। जन्मदिन जैसे शुभ अवसर पर मोमबत्ती बुझा ना गलत है। वह कहते हैं कि लोगों को सनातन धर्म और परंपरा के अनुसार ही शुभ काम करना चाहिए।

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