भाजपा के झटके को कितना झेल पाएंगे नीतीश कुमार

 

नई दिल्ली। भले ही भाजपा और जेडीयू के नेता कहे कि उनके गठबंधन में सब कुछ ठीक है लेकिन पिछले हालात का मूल्यांकन करे तो कहा जा सकता है कि सब कुछ ठीक नहीं है।

ताजा मामला अरुणाचल प्रदेश का है जहां जेडीयू के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इस घटना के बाद बिहार की राजनीति में भी उथल-पुथल मचने के आसार हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बॉडी लैंग्वेज से तो यही लग रहा है। नीतीश शुक्रवार को जब मीडिया से मुखातिब हुए, तो उनका अंदाज कुछ इस तरह का था, जैसे कह रहें हो- पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।

नीतीश ने कहा कि वे लोग चले गए हैं, लेकिन हमारी बैठक अभी बाकी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार एक-दो दिन में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। नीतीश के इस बयान को बिहार की राजनीति में आने वाले भूचाल के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले भी भाजपा के झटके जेडीयू झेल चुकी है।
यह तीसरा मौका है, जब भाजपा ने सीधे तौर पर जेडीयू को झटका दिया है। इससे पहले भी 2019 से लेकर 2020 तक केंद्र, बिहार और अब अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू को मात खानी पड़ी है।

शुरुआत लोकसभा चुनाव 2019 से हुई थी। जेडीयू 16 सीटें जीतकर केंद्र में गया, लेकिन मनमुताबिक मंत्रालय नहीं मिलने से उसे बैरंग ही लौटना पड़ा था।बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सभी घटक दल एक साथ लड़ रहे थे। लेकिन, लोजपा गठबंधन से बाहर निकलकर जेडीयू के खिलाफ चुनाव लड़ी। इसका भारी नुकसान जेडीयू को उठाना पड़ा। इस दौरान भाजपा ने चुप्पी साध ली थी।अरुणाचल विधानसभा में भाजपा के इस नए कदम का असर बिहार की सियासत में भी पड़ सकता है।

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