प्रशासन का बनाया हुआ स्पाइडर मैन, जानिए क्या और क्यों ऐसे काम करता है ये बिजली कर्मचारी

अब तक आपने टीवी में सुपरमैन स्पाइडर-मैन की कहानियां खूब सुनी होंगी खूब देखी होंगी लेकिन, हम आज आपको spider-man रायबरेली में दिखाएंगे जी हां एक ऐसा स्पाइडर-मैन जो तारों को पकड़कर आसमान में ऐसे चल रहा है। जैसे अमीनाबाद की सड़कों घूम रहा हो ।मॉर्निंग वॉक पर निकला हो ।


दरअसल यह तस्वीरें रायबरेली में भारतीय रेल में काम कर रहे एक कर्मचारी की है। जो इलेक्ट्रिक लाइन चौड़ीकरण में काम करता है और लाइनों को सही करता है। यह जनाब इलेक्ट्रिक लाइन के ऊपर खंभों पर इलेक्ट्रिक वायर के बीच ऐसे चल रहे हैं जैसे या कोई बंदर हो जो अपने उस्ताद के इशारे पर घूम टहल रहा हो, लेकिन यह भूल गए न तो यह बंदर है और ना ही इनका कोई जमूरा है। बल्कि या बिजली विभाग में काम करने वाले एक कर्मचारी हैं, जिनको इलेक्ट्रिक वायर में चढ़ने के लिए सुरक्षा के मानकों का ख्याल करना चाहिए।

अब तक आपने तारों के बीच पेड़ों के साथ कूद फांद करते हुए बंदरों को देखा होगा। दीवारों पर चढ़ते हुए स्पाइडर-मैन को सुना होगा लेकिन यहां पर रेलवे लाइन में कूद फांद मचा रहे अपने प्लास और पेच से तारों को ठीक कर रहे ।इस युवक को गौर से देखिए यह रायबरेली से प्रयागराज को जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक लाइन के ऊपर सवार है। जो इलेक्ट्रॉनिक वायर को ठीक कर रहे हैं। लेकिन इनकी लापरवाही को गौर से देखिए इन्होंने ना तो सेफ्टी गार्ड पहन रखा है ।और ना ही सेफ्टी गार्ड जैसी कोई चीज इन्हें ले रखी हो, ना तो रेलवे के कानूनों का पता है ना ही सुरक्षा मानकों की कोई देखी ।
तो क्या सुरक्षा मानकों को निभाने की जिम्मेदारी केवल कागजों पर दी जाती है ।या उन में काम करने वाले कर्मचारियों की भी होती है लोगों से जब बात की गई तो सीधा-सीधा उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन एक बात जरूर बताया कि वह तो रेलवे के कर्मचारी हैं ।लेकिन काम करने वाला व्यक्ति रेलवे में टेंडर के द्वारा काम कर रही किसी फर्म का है। और उसने सेफ्टी गार्ड प्ले रखे लेकिन उसे कहा पता कि तस्वीरें हैं ।जनाब झूठ नहीं बोलती और तस्वीरें सच ही कहती हैं ना इनको अपनी जिंदगी से प्यार है ना मौत का खौफ।

आपने इंसानों को सड़कों पर चलते देखा होगा ट्रेन के ऊपर चलते देखा होगा इन तस्वीरों में आप देखें ट्रेन के ऊपर इलेक्ट्रॉनिक लाइन पर भी एक इंसान चल रहा है दौड़ रहा है यही नहीं कूद फांद भी मचा रहा है ।

इस बाबत जब उनके विभाग के जिम्मेदारों से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कैमरे पर बात करने से ही इनकार कर दिया लेकिन सूत्रों की माने तो फर्म इतनी ताकतवर है । कि उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत कोई कर ही नहीं पा रहा। लेकिन एक बड़ा सवाल है कि आखिर रेलवे विभाग ऐसे फर्मों को काम क्यों दे देती है। जीने ना तो इस देश के संविधान की पड़ी है और ना ही टेंडर लेते वक्त मानकों का पालन करना उन्होंने सीखा है तो क्या वाकई मोदी जी जो भी कर रहे हैं सब ठीक है या महज कागजों पर ही फर्म के दावे और सरकार की योजनाओं का जिक्र होता है फिलहाल इस पूरे मामले पर अदम गोंडवी का वह शेर जरूर काम आता है। जिसमें लिखा गया है तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर यह दावा महल झूठा और किताबी है कम से कम इस तस्वीरें तो यही बयां कर रही है।

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