बंगाल में CBI जांच की ग्राउंड रिपोर्ट

चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच का भी उसी चुनावी अंदाज में विरोध; टीम की गाड़ी पंक्चर कर दी, लोगों ने घेर भी लिया

पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच का विरोध भी चुनावी अंदाज में ही किया जा रहा है। नादिया जिले के छपरा में जांच के लिए पहुंची CBI टीम की गाड़ी पंक्चर कर दी गई। TMC कार्यकर्ताओं ने टीम को घेरकर जमकर नारेबाजी भी की। इस घटना के बाद CBI ने दो मामले नादिया जिले में दर्ज किए हैं। कुल मिलाकर अब तक CBI की टीम 28 FIR दर्ज कर चुकी है। इसमें दो लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है।

दरअसल पश्चिम बंगाल में 2 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। दोपहर 12 बजे तक रुझानों से सरकार का चेहरा साफ हो चुका था। इसी बीच पूरे राज्य में हिंसक घटनाएं शुरू हो गईं। 2 से 5 मई के बीच बंगाल हुड़दंगियों के हवाले रहा। मर्डर, रेप, आगजनी, मार-पीट की घटनाएं सामने आईं।

ग्राउंड पर इसकी तहकीकात के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ इंडिया (NHRC) की एक कमेटी 28 जून को पश्चिम बंगाल पहुंची। जांच के बाद कमेटी ने जुलाई के अंत में हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि, 2 मई से 20 जून के बीच 1934 रिपोर्ट पुलिस में अलग-अलग जगह दर्ज हुईं। इसमें 29 मामले मर्डर, 12 रेप और शारीरिक प्रताड़ना और 940 लूट और आगजनी के थे।

CBI की अलग-अलग टीमें बंगाल के अलग-अलग जिलों में जा रही है और पीड़ित परिवारों की शिकायत दर्ज कर रही है।

BJP ने दावा किया कि हिंसा में उसके 42 कार्यकर्ता मारे गए। हजारों को घर छोड़कर भागना पड़ा। तृणमूल ने भी 15 से ज्यादा अपने कार्यकर्ताओं की मौत का दावा किया। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में अलग-अलग तमाम याचिकाएं लगीं। हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों ने कोर्ट से CBI जांच की मांग की। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल ही रही थी कि इसी बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने 19 अगस्त को जांच की जिम्मेदारी CBI को सौंप दी।

रेप, मर्डर के लिए 4 टीमें बनी हैं
हाईकोर्ट ने मर्डर, रेप और महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपी है। कोर्ट के ऑर्डर के 2-3 दिनों में ही CBI की टीम जांच के लिए कोलकाता पहुंच गई। CBI ने इस जांच का जिम्मा स्पेशल क्राइम ब्रांच (ACB) को सौंपा है। कोलकाता के सॉल्ट लेक में सीजीओ कॉम्प्लेक्स में एसीबी का ऑफिस है। हिंसा के पीड़ितों को पूछताछ के लिए यहीं लाया जा रहा है। एंटी करप्शन ब्रांच के डीआईजी अखिलेश कुमार सिंह को स्पेशल क्राइम ब्रांच का एडिशनल चार्ज दिया गया है। वे बंगाल में नारदा स्कैम, कोयला भ्रष्टाचार और गाय तस्करी की जांच भी कर चुके हैं।

खास बात ये है कि, जांच के लिए जो टीम गठित की गई है, उसमें पश्चिम बंगाल के अफसर के न के बराबर हैं। जांच की पूरी कमान दिल्ली, मप्र, लखनऊ, चंडीगढ़ के अफसरों के हाथ में है। उनके अलावा जांच टीम में 108 मेंबर हैं। इसमें IG लेवल के 4 अफसर हैं। इनमें दिल्ली से आए जॉइंट डायरेक्टर अनुराग सिंह, मप्र के रमनीश गीर, लखनऊ के सम्पत मीणा और चंडीगढ़ के विनीत विनायक शामिल हैं।

CBI टीम की सुरक्षा की जिम्मेदारी CRPF के कंधे पर है। जहां भी टीम जाती है वहां CRPF जवान मोर्चा संभाले रहते हैं।

DIG और SP लेवल के कई अफसर हैं, जो सुपरवाइजरी रोल में हैं। इसके अलावा इंवेस्टिगेटर्स हैं। रेप और मर्डर जैसे गंभीर मामलों की जांच के कुल 4 टीमें गठित की गई हैं। टीम में सदस्यों की संख्या कोई तय नहीं है। जांच और मौके के हिसाब से सदस्यों की संख्या कम ज्यादा हो जाती है। जो अधिकारी इंवेस्टिगेशन में शामिल हैं, वे किसी बाहरी से फोन पर भी बात नहीं कर रहे हैं।

CBI काम कैसे कर रही है?

CBI पीड़ितों को पूछताछ के लिए अपने दफ्तर बुला रही है। उन्हें एक नहीं बल्कि कई बार बुलाया जा रहा है। इसके अलावा टीम घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे क्राइम सीन को रीक्रिएट भी कर रही है। घटना से जुड़े हर एक पक्ष से पूछताछ की जा रही है। जिन लोगों के पास हिंसा से जुड़े फोटो, वीडियोज या दूसरे सबूत थे, वह भी CBI ने कलेक्ट कर लिए हैं। कई लोगों के मोबाइल भी टीम ने जब्त किए हैं। पुलिस से संबंधित जो भी डॉक्युमेंट्स पीड़ितों के पास थे, उन्हें भी CBI ने ले लिया है।

पूछताछ के लिए बुलाए गए एक पीड़ित ने बताया कि, इंवेस्टिगेटिंग रूम में एक ही मामले की सौ-सौ फाइलें बन चुकी हैं। चार-चार, पांच-पांच अफसर गोला बनाकर बैठे हैं, और उन फाइलों की तस्दीक कर रहे हैं।

CBI की कार्रवाई इतनी सीक्रेट है कि किसी के साथ डिटेल साझा नहीं की जा रहीं। गाड़ी के ड्राइवर्स को भी ऐनमौके पर पता चलता है कि उन्हें कहां जाना है। जिस जगह पर जाना होता है, उसके हिसाब से टीम के सदस्यों की संख्या तय होती है। CBI सोर्सेज के मुताबिक, जिन लोगों ने भी शिकायत की है, उन सबकी जांच CBI करेगी। हालांकि अभी तक CBI सिर्फ उन्हीं पीड़ितों के पास पहुंची है, जो BJP से जुड़े हुए हैं।

हाईकोर्ट ने CBI को 19 अगस्त को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके 2-3 दिन के भीतर ही CBI की टीम ने काम करना शुरू कर दिया।

अभी तक CBI ने क्या किया?

रविवार शाम तक CBI इस मामले में 28 एफआईआर दर्ज कर चुकी है। दो लोगों बिजॉय घोष और आशिमा घोष को अरेस्ट भी किया गया है। BJP कार्यकर्ता धर्म मंडल की हत्या के सिलसिले में इन्हें नादिया जिले के छपरा से गिरफ्तार किया गया है।

हाईकोर्ट ने सीबीआई को 6 हफ्तों में स्टेटस रिपोर्ट सबमिट करने के ऑर्डर दिए हैं। यानी CBI के पास प्राइमरी इंवेस्टिगेशन करने के लिए कुल 42 दिन का समय है, जो 19 अगस्त से ही शुरू हो चुका है। CBI सोर्सेज के मुताबिक, 6 हफ्तों के समय के चलते ही इतनी जल्दी जांच शुरू की गई है।

CBI की सुरक्षा में CRPF के जवान

सॉल्ट लेक के जिस सीजीओ कॉम्प्लेक्स में CBI की टीम काम कर रही है, वहां CRPF तैनात है। किसी के आने-जाने पर मनाही नहीं है क्योंकि यहां ईडी सहित दूसरे ऑफिस भी हैं, लेकिन स्पेशल क्राइम ब्रांच के ऑफिस में किसी बाहरी की एंट्री नहीं है। स्पेशल क्राइम ब्रांच के गेट पर ही CRPF का एक जवान हमेशा तैनात होता है। ग्राउंड पर भी CBI की टीम को CRPF की टीम सुरक्षा दे रही है। CBI टीम के आगे-पीछे एक-एक CRPF की गाड़ियां होती हैं। इसके अलावा अफसर जिस गाड़ी में बैठे होते हैं, उसमें भी CRPF के दो-दो जवान होते हैं।

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