पूजा के दौरान लगी आग.. झुलसने से पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास का निधन, श्रद्धांजलि देने पहुंचे ‘वसुंधरा-गहलोत’

भारत ने एक प्रतिष्ठित शिक्षिका, चिंतक, लेखिका और अनुभवी राजनेता को खो दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता डॉ. गिरिजा व्यास का 1 मई की शाम अहमदाबाद के जायडस अस्पताल में निधन हो गया। वे 90 प्रतिशत जल चुकी थीं। पूजा के दौरान हादसे में झुलसीं गिरिजा व्यास के निधन से न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर है। 2 मई को उदयपुर में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके निधन को राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति बताया जा रहा है।

पूजा के दौरान हादसे का शिकार हुईं गिरिजा व्यास

बता दें कि 31 मार्च को गिरिजा व्यास उदयपुर स्थित अपने घर में गणगौर पूजा कर रही थीं, तभी दीपक की लौ से उनकी चुन्नी में आग लग गई। घर में मौजूद एक कर्मचारी ने उन्हें तत्काल संभाला और स्थानीय निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें अहमदाबाद रेफर किया गया। डॉक्टरों ने बताया कि वो 90 प्रतिशत तक झुलस गई थीं, और अंततः 1 मई की शाम 7:15 बजे उनका निधन हो गया।

गिरिजा व्यास: शिक्षा से राजनीति तक का प्रेरणादायक सफर

गिरिजा व्यास का जन्म 8 जुलाई 1946 को कृष्ण शर्मा और जमुना देवी व्यास के घर हुआ। उन्होंने दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और सुखाड़िया विश्वविद्यालय में अध्यापन से अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने 8 किताबें लिखीं, जिनमें से तीन कविता संग्रह हैं – ‘एहसास के पार’ (उर्दू कविता), ‘सीप, समंदर और मोती’ (हिंदी-उर्दू मिश्रित) और ‘नॉस्टेल्जिया’ (अंग्रेजी छंद)।

राजनीतिक करियर में निरंतर सक्रियता और उपलब्धियां

  • 1977 से 1984 तक वे उदयपुर जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं।
  • 1985 में उदयपुर से विधायक बनीं और राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
  • 1991 में लोकसभा पहुंचीं और प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार में सूचना एवं प्रसारण उप मंत्री रहीं।
  • 1993 में उन्हें अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनाया गया।
  • 1996 और 1999 में पुनः लोकसभा सदस्य चुनी गईं।
  • 2001 से 2004 तक वे राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं।
  • 2005 से 2011 तक वे राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं।
  • 2009 में चित्तौड़गढ़ से सांसद बनीं।
  • 2018 में उन्होंने उदयपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना किया।

गिरिजा व्यास को श्रद्धांजलि देने उमड़ा राजनीतिक जनसैलाब

इनके पार्थिव देह को 2 मई को उदयपुर के देत्यमगरी स्थित आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत, उदयपुर विधायक ताराचंद जैन, भाजपा नेता गजपाल सिंह राठौड़ सहित कई नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

गहलोत और वसुंधरा “: दुर्लभ राजनीतिक क्षण

डॉ. व्यास के अंतिम संस्कार के दिन उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत की औपचारिक मुलाकात हुई। वहां कांग्रेस और भाजपा के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। यह दुर्लभ राजनीतिक क्षण चर्चा का विषय बना।

महिलाओं के लिए किए अहम कार्य

गिरिजा व्यास ने महिलाओं के अधिकारों के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष रहते हुए कई उल्लेखनीय पहल कीं। वे राजीव गांधी की करीबी नेता मानी जाती थीं और महिला सशक्तिकरण की मजबूत आवाज रहीं।

एक युग का अंत

गिरिजा व्यास का निधन सिर्फ एक नेता के जाने का शोक नहीं है, बल्कि एक विचारधारा, एक दर्शन और एक संवेदनशील आवाज के अंत का प्रतीक है। उनकी बौद्धिकता, संवेदनशीलता और राजनीतिक कौशल को देश हमेशा याद रखेगा।

 

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