कश्मीर में पाबंदियां आतंकवाद के खिलाफ हैं, विदेश मंत्री ने विदेश मे समझाई हक़ीक़त

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने कश्मीर मुद्दे और वहां संचार सुविधाओं पर पाबंदियों को लेकर बयान दिया है। सरकार द्वारा लगाई इन पाबंदियों के बचाव में उन्होंने इसे आतंकियों से निपटने का इकलौता तरीका बताया है। कानून व्यवस्था और सुरक्षा का हवाला देकर जयशंकर ने इस मुद्दे पर सरकार का बचाव किया।

ब्रुसेल्स में एक इंटरव्यू के दौरान केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कश्मीर(Kasmir) मसले पर राय रखी। उन्होंने कहा कि ‘कश्मीरियों को प्रभावित किए बिना आतंकियों(Terrorists) को अपने सरगना के साथ संपर्क करने से रोकना संभव नहीं था। ये कैसे हो सकता है कि सिर्फ आतंकियों और उनके आकाओं के कम्युनिकेशन पर बैन लगाया जाए और बाकी कश्मीरियों के लिए इंटरनेट की सुविधा चालू रहे। जाहिर तौर पर ऐसा नहीं हो सकता।’ इसके साथ ही भारत-पकिस्तान के बीच बातचीत के प्रस्ताव पर उन्होंने दो टूक शब्दों में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ‘पाकिस्तान(Pakistan) खुले तौर पर आतंकियों को अपनी जमीं पर पनाह दे रहा है। ऐसे में भारत उसके साथ किसी भी तरह की बातचीत नहीं कर सकता।’ विदेश मंत्री ने कश्मीर में प्रतिबंधों के बीच दवाओं और जरूरी चीजों की सप्लाई में कमी की खबरों को भी खारिज किया है. उन्होंने कहा, ‘वहां हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। लोगों को उनकी जरूरत का सामान, दवाएं सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई जा रही हैं। कुछ जगहों पर प्रतिबंधों में ढील भी दी गई है। हालांकि, ऐहतिहातन कई इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात हैं।’

विदेशी दौरे पर हैं विदेश मंत्री

गौरतलब है कि विदेश मंत्री(Foreign Minister) एस. जयशंकर अपने विदेशी दौरे पर हैं। इस दौरे में वे रूस(Russia), पोलैंड(Poland) और हंगरी(Hungary) की यात्रा के बाद ब्रुसेल्स में मौजूद हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस, यूएई और अमेरिका के दौरे पर गए थे। दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने साफ़ तौर पर कह दिया था कि कश्मीर भारत-पाक का आंतरिक मसला है। इसलिए भारत इस मुद्दे पर किसी तीसरे देश को कष्ट नहीं देना चाहता। हालाँकि पाकिस्तान बार बार कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाकर मुद्दे में बाहरी देशों की भागीदारी का निवेदन करता रहा है।

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