विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा, जी-20 शिखर वार्ता में ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बनेगा भारत

नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से आंतकवाद का खतरा और बढ़ गया है।

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद यूक्रेन संघर्ष ने दुनिया विशेषकर विकासशील और अल्पविकसित देशों के लिए गंभीर चुनौती पेश की है। उन्होंने कहा कि दुनिया के आर्थिक हालात और जटिल हो गये हैं तथा ईंधन, खाद्यान और उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि और इनकी उपलब्धता इन देशों के लिए चिंता का विषय बन गई है।

जयशंकर ने ‘ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन-2023’ के अंतर्गत विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा कि भारत जी-20 संगठन की अध्यक्षता के दौरान इन देशों की आवाज बनेगा। उल्लेखनीय है कि भारत विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के संगठन जी-20 का अध्यक्ष है। इसी के मद्देनजर ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में जी-20 की भूमिका को लेकर शुक्रवार को सत्र आयोजित था।

यूक्रेन संघर्ष की ओर संकेत करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ग्लोबल साउथ (विकासशील और अल्पविकसित देश) ने खेमों में बंटी दुनिया में किसी एक खेमे के साथ जुड़ने के बजाये मध्यम मार्ग अपनाया है। ये देश मध्यम मार्ग अपनाकर विवादों को बातचीत और कूटनीति के जरिए हल करने पर जोर देते हैं। उनका मानना है कि प्रतिस्पर्धा, संघर्ष और कुटबंदी के बजाये सहयोग पर जोर दिया जाये। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों की ओर से व्यक्त किये गये विचारों और सुझावों के अनुरूप भारत जी-20 सम्मेलन में इन देशों की आवाज बनेगा।

विश्व संस्थाओं में सुधार की वकालत करते हुए जयशंकर ने कहा कि ये संस्थाएं दूसरे विश्व युद्ध के कालखंड के दौर से ही बंधी हुई हैं तथा नये हालात के अनुरूप अपनी भूमिका नहीं निभा रही हैं। कुछ देश वर्तमान व्यवस्था को अपने हितों को बनाये रखने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। ग्लोबल साउथ इसे बदलना चाहता है।

विदेश मंत्री ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे के संबंध में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत बनाने पर जोर देते हुए कहा कि नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से आंतकवाद का खतरा और बढ़ गया है।

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