दंतेवाड़ा में शहीद पांच जवान पहले नक्सलियों के लिए करते थे काम, जानें पूरा मामला

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सल अटैक में शहीद 10 जवानों में से पांच जवान पहले नक्सलियों के लिए काम करते थे। उनमें से एक कांस्टेबल जोगा कवासी पिछले महीने ही डीआरजी में भर्ती हुआ था। ये पांच जवान सरेंडर करने के बाद डीआरजी में शामिल हो गए। इनमें सुकमा जिले के अर्लमपल्ली गांव निवासी हेड कांस्टेबल जोगा सोदी और दंतेवाड़ा के मुदेर गांव के रहने वाले मुन्ना कडती 2017 में डीआरजी में भर्ती हुए थे। 2020 में दंतेवाड़ा के ही रहने वाले कांस्टेबल हरिराम मंडावी और राजूराम करतम पुलिस बल में शामिल हुए।नक्सलवाद की परंपरा को छोड़कर समाज कीमुख्य धारा में शामिल होने वाले DRG के इन जवानों को सन ऑफ सॉइल भी कहा जाता है। DRG में स्थानीय युवाओं को शामिल किया जाता है। इन्हें जंगल के हर हिस्से की जानकारी होती है। स्थानीय स्तर पर इनका सोर्स नेटवर्क पुलिस और सुरक्षाबलों से ज्यादा मजबूत माना जाता है। इस वजह से इन्हें जंगल के हर हिस्से की जानकारी आसानी से मिल जाती है। नक्सलियों के मूवमेंट का भी इन्हें पता चल जाता है।

जानकारी केअनुसार 10 राज्यों के 70 जिलों में नक्सलवाद है। इनमें झारखंड के 16 और छत्तीसगढ़ के 14 जिले शामिल हैं। देखा जाए तो झारखंड में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या ज्यादा और छत्तीसगढ़ में कम है। फिर भी छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों की संख्या झारखंड के मुकाबले ज्यादा है।

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