फर्रुखाबाद : दो हजार से 200 रुपये पैकेट पहुंचा आलू का भाव, किसानों को लागत डूबने की चिंता

फर्रुखाबाद, आलू किसानों की इस साल उल्टी गिनती शुरू हो गई है। किसानों ने 2 हजार रुपये प्रति पैकेट आलू खरीद कर बोया था। आज आलू के भाव औधे मुंह गिरने से किसान दो सौ रुपये प्रति पैकेट आलू बेचने को विवश है। जबकि पिछले वर्ष इसी समय आलू दो हजार रुपये प्रति पैकेट बिक रहा था।

सर्वाधिक आलू पैदा करने वाले किसान नारद सिंह कश्यप का कहना है कि इस समय किसानों का शीत गृह में भंडारित आलू माटी के मोल बिक रहा है। किसानों को शीत गृह का भाड़ा निकाल दो सौ रुपये प्रति पैकेट के दाम मिल रहे हैं। जिससे आलू किसानों के लागत के दामों में भारी घाटा हो रहा है। आलू के भाव गिरने से अन्नदाता करोड़ों के कर्ज के दलदल में डूब गया है।

आलू किसान सुरेंद्र सिंह का कहना है कि किसानों ने बैंक से ऋण लेकर आलू तैयार किया था। भाव गिर जाने से अब किसान बैकों का कर्ज कहां से चुकायेगा। इस चिंता ने किसानों के दिन का चैन औऱ रात की नींद छीन ली है। अब किसानों के सामने सरकार की ओर से मदद के सिवाय अन्य कोई रास्ता नहीं है।

सागर सिंह सोमवती शीत गृह के मालिक गजेंद्र सिंह यादव बताते हैं कि इस साल शीत ग्रहों से आलू की निकासी न के बारबर हो रही है। अन्य प्रदेशों के व्यापारी यहां नहीं आ रहा है। जिससे आलू की निकासी नहीं हो पा रही है। आलू की निकासी कम होना आलू के भाव और नीचे गिरने के संकेत दे रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह आलू के भाव औधे मुंह गिरे हैं उससे स्पष्ट हो गया है कि किसान मंदी के चलते अपना भंडारित आलू शीत गृहों में ही छोड़ जएगा। वर्ष 2000 की तरह शीत गृह मालिकों को अपने पैसे से आलू फेकना पड़ेगा। उनका कहना है जरा से दागी आलू में व्यापारी हाथ लगाना गुनाह समझता है।

पूर्व जिला आलू विकास अधिकारी एपी सिंह बताते हैं कि इस साल फर्रुखाबाद जिले 40 हजार हेक्टेयर भूमि पर आलू की फसल तैयार की गई थी। जिसमें 12 लाख मेट्रिक टन आलू पैदा हुआ। छह लाख मेट्रिक टन आलू को किसानों ने ओने-पौने में बेच दिया।छह लाख मेट्रिकटन आलू जिले के 80 शीतगृहों में भंडारित कर दिया। तकरिबन 4 लाख मेट्रिक टन आलू अब भी शीत गृहों में भंडारित है। बाहर की मंडियों में आलू की मांग न होने से निकासी कछुआ गति से हो रही है। जिससे किसान परेशान है। किसानों को आलू में इस साल भारी घाटा हो रहा है।

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