Exclusive – कुशीनगर के किसान बोले – बीजेपी का काम सिर्फ कागज़ों पर,सपा राज में गन्ना किसान थे खुश

 

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद में न्यूज़ नेशन संवाददाता गुड्डू कुमार ने किसानों से बातचीत की। किसानों ने इस दौरान अपना पक्ष रखा। जहां एक तरफ बीजेपी सरकार किसानों के हक में काम करने की बात कर रही है तो वही कुशीनगर के किसान कुछ अलग ही सोचते हैं। यहां के किसानों से बातचीत करने पर पता चला कि वह बीजेपी सरकार से खुश नहीं है। हालांकि कुछ लोगों ने यह भी कहा कि शायद स्थिति पहले से ठीक हो सकती है। लेकिन ज्यादातर लोगों का यही कहना था कि बीजेपी सिर्फ कागजों पर काम कर रही हैं।

एक किसान ने कहा कि बीजेपी सरकार का काम सिर्फ कागजों पर ही नजर आता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बताती है। बताने की कुशीनगर में गन्ने की खेती खूब की जाती है। हालांकि इस बार किसानों का कहना है कि गन्ने पड़े पड़े सूख रहे हैं। उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। सरकारी आती है और जाती हैं लेकिन किसान हमेशा दुर्दशा ही झेल रहा होता है।

इस दौरान एक किसान ने कहा कि जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी उस समय गन्ना किसान खुश था। आज किसानों के लिए स्कीम और योजनाओं की बात तो की जाती है लेकिन वह सिर्फ कागजों पर ही रहता है। दूसरी ओर किसान आज की बीजेपी सरकार से खुश नहीं है। मोदी सरकार ने जो कृषि बिल निकाला उसमें गन्ने को शामिल ही नहीं किया गया। जो पहले 1700 या 1800 में गन्ने की बिक्री होती थी वह अब मात्र 1300 में हो रही है।

न्यूज़ नशा संवाददाता गुड्डू कुमार ने जब किसानों से यह पूछा कि सरकार जो किसानों के लिए योजना लेकर आती है उससे क्या फायदा पहुंचता है तो इसके जवाब में किसान ने कहा कि 5 सितंबर को जो यंत्र सेवा योजना आई थी तो वह इस योजना का लाभ लेने के लिए गए तो वहां उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि वेबसाइट काम नहीं कर रहीं हैं और जब वह दूसरे दिन गए तब तक सभी आवेदन पूरे हो चुके थे। साथ ही उन्होंने कहा था कि यह सब बिचौलियों की वजह से हुआ है। यानी दूसरे दिन भी वह उस योजना का लाभ प्राप्त नहीं कर पाए थे।

किसानों का यह भी कहना था कि वर्तमान सरकार ने गन्नों का मूल्य नहीं बढ़ाया है जबकि पिछली सरकार ने गन्नों का मूल्य बढ़ाया था। कृषि बिल के आने के बाद से तो गेहूं के दाम भी कम हो चुके हैं। इस बातचीत में किसानों का यही कहना था कि सरकारी आती है और जाती है लेकिन कोई किसानों के लिए काम नहीं करता।

 

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