82 बच्चों की अश्लील फिल्म.. 1 बच्ची की पहचान हुई, डार्कवेब पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी.. नवीन को उम्रकैद

उत्तर प्रदेश के गभाना में रहने वाले नवीन कुमार को डार्कवेब पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी फैलाने के मामले में अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। पॉक्सो एक्ट के तहत विशेष अदालत ने नवीन को न सिर्फ उम्रकैद की सजा दी है, बल्कि ₹1.10 लाख का जुर्माना भी लगाया है। सीबीआई ने दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच की ओर से मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी।

82 बच्चों के बनाए अश्लील वीडियो और फोटो

सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ कि नवीन कुमार ने कुल 82 बच्चों की अश्लील वीडियो और फोटो तैयार कर रखे थे। ये सभी फोटोज और वीडियोज उसके मोबाइल और डेटा कार्ड में संकलित थे। दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग द्वारा मोबाइल और डेटा कार्ड की जांच में यह पुष्टि हुई कि उसके पास से 21 वीडियो और 61 फोटो बरामद हुए, जिनमें अधिकांश बच्चे स्कूल जाने वाले हैं।

कामवासना भड़काने की नीयत से बनाई चित्रण सामग्री

सीबीआई ने जांच के दौरान फॉरेंसिक रिपोर्ट अदालत में बतौर साक्ष्य पेश की थी। GTB अस्पताल के निदेशक डॉ. श्रीनिवास एम ने रिपोर्ट में कहा कि यह सामग्री स्पष्ट रूप से बाल यौन शोषण की श्रेणी में आती है और इसका उद्देश्य केवल अश्लीलता फैलाना था। अदालत ने भी इस सामग्री को ‘कामवासना भड़काने वाली बालकों की चित्रण सामग्री’ की श्रेणी में रखते हुए इसे आईटी एक्ट की गंभीर उल्लंघना माना।

इंटरपोल से मिली जानकारी, सीबीआई ने की कार्रवाई

इंटरपोल से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर सीबीआई ने यह केस दर्ज किया था। ईमेल आईडी और उससे जुड़े मोबाइल नंबरों के आधार पर आरोपी की पहचान दिल्ली के लक्ष्मी नगर और गभाना (अलीगढ़) में रहने वाले नवीन कुमार के रूप में हुई। कोर्ट की अनुमति से जब उसके घर पर छापा मारा गया, तो वहां से अश्लील सामग्री से भरे मोबाइल और डेटा कार्ड समेत कई अहम सबूत बरामद किए गए।

एक बच्ची की हुई पहचान

सीबीआई को जांच में एक बच्ची की पहचान हो सकी, जो गभाना क्षेत्र के एक स्कूल में पढ़ती थी। उसकी पहचान स्कूल के प्रधानाचार्य की मदद से हुई। हालांकि, बाकी 81 बच्चों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। सीबीआई ने काफी प्रयास किए लेकिन अन्य बच्चों की जानकारी सामने नहीं आ सकी, जिससे यह मामला और भी चिंताजनक बन गया है।

अदालत ने माना आईटी एक्ट के तहत पुख्ता सबूत

सीबीआई की ओर से पेश की गई फॉरेंसिक रिपोर्ट और अन्य डिजिटल साक्ष्यों को अदालत ने आईटी एक्ट के तहत ‘प्रबल प्रमाण’ मानते हुए नवीन कुमार को दोषी करार दिया। विशेष जज (पॉक्सो) अनिल कुमार अष्टम की अदालत ने सोमवार को सजा सुनाते हुए कहा कि इस तरह के अपराध समाज में भयावह स्थिति पैदा करते हैं और इसका प्रभाव मासूमों की मानसिकता पर गहरा पड़ता है।

यह फैसला : साइबर अपराध के खिलाफ मिसाल

नवीन कुमार को उम्रकैद की सजा देकर अदालत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि बच्चों के शोषण और साइबर अपराध को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला सिर्फ कानून की जीत नहीं, बल्कि उन मासूमों की आवाज़ है जिन्हें न्याय की दरकार थी। हालांकि बाकी बच्चों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है, लेकिन इस फैसले ने बाल सुरक्षा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगाई है।

 

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