कैट ने मल्‍टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई पॉलिसी के उल्‍लंघन के लिए अमेजन को ठहराया जिम्‍मेदार

नई दिल्‍ली। कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पियूष गोयल को एक पत्र भेजकर एफडीआई पॉलिसी 2018 के प्रेस नोट न.-2 के प्रावधानों का दुरुपयोग करने का आरोप अमेजन पर लगाया है। कैट ने गोयल से आग्रह किया है कि प्रेस नोट न. 2 में सरकार की मंशा को स्‍पष्‍ट करने के साथ ही उसकी विसंगतियों को दूर करने के लिए एक नया प्रेस नोट जारी किया जाए, ताकि ई-कॉमर्स कंपनियों के द्वारा प्रेस नोट के उल्लंघन की सम्भावना को कम किया जा सके।

कैट ने कहा कि मौजूदा एफडीआई पॉलिसी के उपनियम न सिर्फ मल्टी ब्रांड रिटेल में किसी भी तरह की विदेशी निवेश का मंजूरी नहीं देते हैं, बल्कि किसी भी विदेशी अथवा विदेशी स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी को भारत की ई-कॉमर्स पर पोर्टल द्वारा इनवेंटरी को नियंत्रित करने की इजाजत भी नहीं देते।

कैट का कहना है कि इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि अमेजन पैंट्री और क्लाउडटेल पैंट्री जैसी कई बड़ी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां सीधे तौर ग्रोसरी रिटेल से जुड़ी ‘इन्वेंटरी आधारित ई कॉमर्स मॉडल’ को नियंत्रित कर रही हैं और उनमें निवेश कर रही हैं। कारोबारी संगठन ने कहा कि देश की एफडीआई पॉलिसी का खुलेआम हो रहा ये अनादर कैट को हरगिज मंजूर नहीं है। इसके मद्देनजर ही कैट ने पत्र लिखकर पीयूष गोयल से इस पर सख्‍त कदम उठाने का अनुरोध किया है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि एफडीआई पॉलिसी के सेक्शन 5.2.15 मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेड के लिए ही बनाए गए हैं। सरकार ने लाखों खुदरा व छोटे व्यापारियों के हितों की सुरक्षा के लिए मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेड में एफडीआई को प्रतिबंधित किया है, जिसमें खाद्य प्रदार्थ भी शामिल है। खंडलेवाल ने कहा कि खाद्य प्रदार्थों में ई-कॉमर्स तथा मल्टी ब्रांड रिटेल कारोबार में व्यपारियों के हितों के लिए सरकार द्वारा बनाई पॉलिसी का दुरुपयोग कर अमेजन सहित कुछ विदेशी कंपनियां न केवल इन्हें नियंत्रित कर रही है, बल्कि इनमे निवेश भी कर रही है। इससे यह साफ है कि अब खाद्य प्रदार्थों के मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेड में भी विदेशी निवेश की पुरजोर कोशिशें की जा रही है, जोकि बिजनेस टू कंज्‍यूमर्स रिटेल ट्रेड का प्रमुख अंग है।

खंडेलवाल ने कहा कि देश के 7 करोड़ छोटे और बड़े व्यापार से 40 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है, जिसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्‍होंने बताया कि छोटे किराना स्टोर अथवा व्यापारियों की सुरक्षा और जीविका के लिए सरकार ने प्रेस नोट में दिए गए उपनियम 5.2.5 और उपनियम 5.2.5.2 के अनुसार सिर्फ मैन्युफैक्चरर को ही अपने द्वारा बनाये गए खाद्य प्रदार्थो को व्होलेसेल या रिटेल में बेचने की अनुमति है, जिसमें ई-कॉमर्स भी शामिल है। कैट ने वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री को लिखे गए पत्र में ये सवाल उठाया है कि आखिर क्यों ये विदेशी कंपनियां बार-बार देश की एफडीआई पॉलिसी का उल्लंघन करने का दुस्साहस कर रही हैं।

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