बिहार: कुलपति का हुआ विश्वविद्यालय कैंपस में घेराव

परा आर एस ए संगठन के नेतृत्व में जयप्रकाश विश्वविद्यालय कैंपस में कुलपति प्रोफेसर फारूक अली का घेराव किया गया. कुलपति किसी तरह भागे। इसी बीच विश्वविद्यालय कर्मचारियों एवं छात्र नेताओं में जोरदार धक्का-मुक्की हुआ। घेराव कार्यक्रम में छात्र नेताओं के द्वारा कहा गया कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के जो वर्तमान कुलपति हैं जब से विश्वविद्यालय में ज्वाइन किए हैं जब से शैक्षणिक अराजकता कायम हो चुकी है। जयप्रकाश विश्वविद्यालय प्रशासन परीक्षा फॉर्म भरवाने में इतनी राशि ले रही है उसके बावजूद अंकपत्र की हार्ड कॉपी क्यों नहीं दे रही है? अभी तक पीएचडी कोर्स वर्क का अंक पत्र जारी नहीं किया गया जिसके कारण शोध कर रहे छात्र-छात्राओं के द्वारा सिनोप्सिस जमा नहीं किया जा रहा है। पैट 2021 का प्रवेश पत्र क्वालीफाइंग सर्टिफिकेट की हार्ड कॉपी अभी तक नहीं दी गई जबकि शोधार्थी को पूरे जीवन इसकी हार्ड कॉपी की आवश्यकता होगी। जल्द से जल्द कोर्स वर्क का अंक पत्र जारी किया जाए साथ ही डीआरसी एवं पी जी आरसी की बैठक अविलंब बुलाकर सिनॉप्सिस की जांच की जाए। सिनॉप्सिस का पैलिरिजिम जांच कहा होगा अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। जबकि नए रेगुलेशन पीएचडी रेगुलेशंन 2016 के अनुसार सिनॉप्सिस का भी पैलिरिजिम जांच करना आवश्यक है। स्नातक एवं स्नातकोत्तर के जितनी भी परीक्षाएं हो रही है उसका अंकपत्र की हार्ड कॉपी छात्र- छात्राओं को नहीं दी जा रही है। पूरे विश्व विद्यालय में शैक्षणिक अराजकता चरम पर है। स्नातक प्रथम खंड 2023 -24 मैं नामांकन के लिए सीबीसीएस लागू होने वाला है लेकिन अभी तक उसका सिलेबस तैयार नहीं हुआ। स्नातक प्रथम खंड में नामांकन के लिए अप्लाई का प्रोसेस अभी तक स्टार्ट नहीं हुआ। फिर सत्र विलंब होगा। महाविद्यालयों में खेल की घंटी बजनी बंद हो चुकी है। सांस्कृतिक विभाग विश्वविद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक मृतप्राय हो चुका है। स्नातकोत्तर विभागों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है। महाविद्यालयों के कॉमन रूम में कचरा भरा हुआ है। ऐसी स्थिति में शैक्षणिक व्यवस्था कैसे सुदृढ़ होगी। शैक्षणिक व्यवस्था में फैली अराजकता के खिलाफ आज से विश्वविद्यालय कैंपस में आंदोलन प्रारंभ किया गया। आंदोलन में प्रमुख रूप से उज्जवल कुमार सिंह, गुलशन यादव,महासचिव राहुल यादव, विकास सिंह सेंगर, छोटू कुमार, गोलू कुमार, छोटी कुमारी, दीपा पांडे, शिवानी पांडे, रिशु राज, जिया सिंह,पूनम कुमारी, दीपक पांडे आदि सैकड़ों कार्यकर्ता थे ।

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