मानसून की दस्तक से पहले अलर्ट मोड: क्या पटना डूबने से बचेगा?

बिहार सरकार ने आगामी मानसून 2025 को ध्यान में रखते हुए बाढ़ से निपटने के लिए व्यापक और संगठित तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। राज्य के विभिन्न विभागों और एजेंसियों के समन्वय से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि संभावित आपदा की स्थिति में जनहानि और संपत्ति का नुकसान न्यूनतम हो।

जलजमाव स्थलों की पहचान और जलनिकासी की व्यवस्था

पटना नगर निगम ने सभी वार्डों में संभावित जलजमाव स्थलों की पहचान का कार्य अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरा कर लिया है। इन स्थलों पर जलनिकासी के लिए पंप लगाए जा रहे हैं, और मॉक ड्रिल के माध्यम से उनकी कार्यक्षमता की जांच की जा रही है। इसके साथ ही, अतिरिक्त जलनिकासी मार्ग भी तैयार किए जा रहे हैं ताकि बारिश के दौरान जलजमाव की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।

आपदा प्रबंधन विभाग की सक्रियता

आपदा प्रबंधन विभाग ने बाढ़ से विस्थापित होने वाले लोगों के लिए आवासन, खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलों को निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए 17 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जिसमें खाद्यान्न, आवासन, नगद सहायता और नावों की खरीद शामिल है।

प्रशासनिक स्तर पर तैयारियाँ

जिला प्रशासन ने संभावित बाढ़ और जलजमाव से निपटने के लिए सभी अंचलाधिकारियों और बीडीओ को अपने-अपने क्षेत्रों में निरीक्षण करने और आवश्यक संसाधनों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत नावों की मरम्मत, शरण स्थलों का निर्माण, दवाओं की उपलब्धता, पशुचारा और राहत सामग्री की व्यवस्था की जा रही है।

ड्रेनेज सिस्टम की निगरानी और सुधार

नगर विकास एवं आवास विभाग ने शहरी निकायों में संभावित जलजमाव से निपटने के लिए बड़े और मध्यम श्रेणी के नालों की सफाई का क्रॉस वेरिफिकेशन शुरू कर दिया है। पटना के ड्रेनेज पंपिंग प्लांटों के मेंटेनेंस के लिए 22 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा, पंपिंग स्टेशनों की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की जा रही है।

मुख्यमंत्री का निरीक्षण और निर्देश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना और वैशाली जिलों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने जल संसाधन विभाग को सतर्क रहने और निचले इलाकों की निगरानी करने के निर्देश दिए। साथ ही, आपदा प्रबंधन विभाग को प्रभावित समुदायों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए कहा गया है।

बाढ़ नियंत्रण के लिए तकनीकी उपाय

जल संसाधन विभाग ने बाढ़ नियंत्रण के लिए 423 एंटी-इरोशन और फ्लड प्रोटेक्शन कार्य पूरे किए हैं, जिन पर 12.5 अरब रुपये खर्च किए गए हैं। इसके अलावा, 20 से अधिक सुपर सेंसिटिव स्थानों की पहचान की गई है, जहां वरिष्ठ अभियंताओं को तैनात किया गया है। राज्य सरकार ने फ्लड मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (FMIS) की स्थापना की है, जो बाढ़ की पूर्व चेतावनी और निगरानी में सहायक है।

 

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