भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में कृषि क्षेत्र का रहेगा प्रमुख योगदान: तोमर

नई दिल्ली। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि वर्ष 2024 तक भारत को पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में कृषि क्षेत्र का प्रमुख योगदान रहेगा। देश में हो रहे कृषि सुधार समग्र विकास का आधार बनेंगे।

तोमर ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के 57वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कि भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में कृषि प्रधान देश होने के नाते किसानों के साथ ही कृषि से जुड़े वैज्ञानिकों-कर्मचारियों, मैदानी कार्यकर्ताओं का प्रमुख योगदान होगा। खेती-किसानी में लागत कम करने के साथ ही उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाए बिना इस लक्ष्य की पूर्ति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को इसके लिए समुचित तकनीक एवं प्रचार-प्रसार माध्यमों का उपयोग करने हेतु आवश्यक तंत्र विकसित कर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी देना होगा। देश की जीडीपी में अभी कोरोना संकट के विपरीत दौर में भी कृषि क्षेत्र ने सकारात्मक योगदान दिया है।

तोमर ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद से कृषि क्षेत्र में चौतरफा विकास हो रहा है। वर्ष 2009-10 में जहां देश में कृषि मंत्रालय का बजट बारह हजार करोड़ रुपये होता था, अब ये एक लाख चौतीस हजार करोड़ रुपये है। मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने एमएसपी में भी बढ़ोतरी की है, वहीं राज्यों को योजनाओं में ज्यादा फंड दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिर्फ बजट प्रवर्तित योजनाओं से काम नहीं चलेगा, बल्कि अलग-अलग विधाओं को अपनाना होगा। देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिनके पास गांवों तक निजी निवेश पहुचंने से ही नई कृषि क्रांति का सूत्रपात होगा। इसीलिए, प्रधानमंत्री जी ने 6,850 करोड़ रुपये के बजट से दस हजार नए एफपीओ बनाने की स्कीम शुरू की है। गांव-गांव किसानों को जागरूक कर एफपीओ से जोड़ा जाएं। किसान सिर्फ फसल उगाने में ही पसीना नहीं बहाएं, बल्कि महंगी फसलों को उगाएं, फूड प्रोसेसिंग से जुड़े, वैल्यूचैन गांव-गांव तक खड़ी हो, इनमें एफपीओ का महत्वपूर्ण योगदान होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र की खामियों को भरने के लिए प्रधानमंत्री जी ने एक लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड की शुरूआत की है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में अन्य सम्बद्ध क्षेत्रों के पैकेज भी दिए गए हैं, इन सबसे यह धारणा दूर हुई है कि किसानों को लोन आसानी से नहीं मिल पाता। पैकेज का यह पैसा गांव-गांव पहुंचेगा, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा, जिससे कृषि विभिन्न आयामों से जुड़ेगी। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार के नए कानून बनने व बदलाव से आने वाले कल में किसान बेचारा नहीं होगा, बल्कि मार्गदर्शन करने वाला होगा। किसानी का काम देश की ग्रोथ में अधिकतम योगदान करने वाला हो, इस दिशा में सबको आगे बढ़ने की जरूरत है और किसान, केवीके, कृषि के छात्र-छात्राएं व वैज्ञानिकों का योगदान महत्व रखता हैं।

तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश में खेती काफी अग्रणी स्थिति में है। म.प्र. को सोयाबीन राज्य के रूप में भी जाना जाता है। इसमें इस वि.वि. ने अपने शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से बेहतर योगदान दिया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति पिछले दिनों आई और खुशी की बात है कि इसके माध्यम से उच्च शिक्षा में सुधार के लिए इस वि.वि. के स्तर पर समितियां गठित कर मूर्त रूप देने का कार्य शुरू कर दिया गया है। शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने, व्यवस्थित विकास करने व इसके प्रबंधन के लिए भारत सरकार कृत संकल्पित है।

तोमर ने आशा जताई कि उच्च तकनीकों को सरल करते हुए इन्हें किसानों की उपज के बाजारीकरण व आय बढ़ाने में उपयोगी बनाकर प्रचारित किया जाएगा तथा अनुसंधान से खेती में आने वाली चुनौतियों पर विजय प्राप्त करनी होगी।

कुलपति डॉ प्रदीप कुमार बिसेन ने स्वागत भाषण देते हुए बताया कि जनेकृविवि द्वारा विकसित फसलों की सैकड़ों किस्में देश-विदेश में सफलतापूर्वक उगाई जा रही है। यहां के विद्यार्थियों ने विश्व में नाम रोशन किया है। छह दशकों में सर्वश्रेष्ठ कृषि वि.वि. सहित अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। प्रजनक बीज उत्पादन में 15 साल से देश में अव्वल है।

 

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