सिस्‍टम को बदहाली का तमाचा, अस्‍पताल में बेड नहीं मिला तो चप्‍पल को तकिया बनाकर मरीज ने रात गुजारी

गोरखपुरः वैश्विक महामारी कोरोना के बीच कोरोना पीडि़त मरीजों के लिए बेड की कमी नहीं होने के जहां सरकार लगातार दावे करती रही है. वहीं आज सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कोविड-19 के पेशेंट्स को घर पर ही आइसुलेशन में रखने का फरमान जारी कर दिया है. इसके पीछे की वजह हम आपको बताते हैं. आखिरकार ऐसा क्‍यों करना पड़ा. यूपी में सरकारी अस्‍पताल में किस तरह दुर्व्‍यवस्‍था है, इसकी सिस्‍टम को बदहाली का तमाचा मारती तस्‍वीर हम आपकों दिखाते हैं. गंभीर रूप से घायल मरीज को सरकारी अस्‍पताल में बेड नहीं मिला, तो उसे घायल बहन के बेड के बगल में चप्‍पल को तकिया बनाकर जमीन पर लेटकर रात गुजारनी पड़ी.

गोरखपुर के सरकारी अस्‍पताल के बदइंतजामी की ऐसी तस्‍वीर जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी. आखिर कैसे आप और हम जिले के सरकारी अस्‍पताल में इलाज कराने जाएं. वो भी तब जब सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्‍यनाथ इसी शहर के रहने वाले हैं. कुछ दिन पहले ही उन्‍होंने जिला चिकित्‍सालय का दौरा भी किया और यहां के इंतजाम भी देखे. वैश्विक महामारी कोरोना की जांच के लिए आई ट्रू-नेट मशीन को भी उन्‍होंने यहां पर परखा. सारे चाक-चौबंद इंतजाम के बाद सीएम क्‍या गए. व्‍यवस्‍था खुद ही सिस्‍टम को मुंह चिढ़ाने लगी.

गोरखपुर के गोरखनाथ इलाके के गाजीरौजा के पास की रहने वाली गायत्री देवी के पट्टीदारी में जमीन के झगड़े में विवाद हो गया. विवाद इतना बढ़ गया कि मारपीट की नौबत आ गई. विपक्षियों की ओर से लाठी-डंडे से गायत्री देवी की बेटी सरिता और बेटे विक्‍की को मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया. दोनों का ही सिर फट गया. 19 जुलाई की दोपहर जब गायत्री दोनों बच्‍चों को लेकर जिला चिकित्‍सालय पहुंची, तो यहां पर बेटी सरिता को तो भर्ती कर लिया गया. लेकिन, बेटे को इलाज के बाद बेड नहीं मिला. तस्‍वीरें बयां कर रही हैं कि पूरे सिर में गंभीर चोट है. इसके बावजूद सिस्‍टम की बदइंतजामी के कारण गायत्री देवी के बेटे को चप्‍पल को तकिया बनाकर पूरी रात जमीन पर सोना पड़ा.

इस मामले में गोरखपुर के जिला चिकित्‍सालय के एसआईसी डा. एसके श्रीवास्‍तव कहते हैं कि उनके पास मरीज को भर्ती करने की सुविधा है. उन्‍होंने कहा क‍ि इस तरह की जानकारी आपके माध्‍यम से मिली है. इस तरह की गलती ठीक नहीं है. उन्‍होंने कहा कि ये प्रकरण गंभीर है. इस मामले में वे जांच कराएं और जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसकी दोबारा पुनराव‍ृत्ति न हो इस बात का ध्‍यान दिया जाएगा. वे खुद बेड की कमी की बात को स्‍वीकार करते हैं. लेकिन, वे बताते हैं कि चोट के मरीजों को स्‍टैबिल करने के लिए नीचे उसे ऊपर वार्ड में नहीं भेजा जाता है. हालांकि इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए. उन्‍होंने कहा कि दोषियों को निलंबित करने की कार्रवाई करेंगे.

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