गजब ! इंटरनेट देख पूरा परिवार बना फर्जी डेंटिस्ट, 2 साल में कमाए 1.5 करोड़, पूरा मामला सुन उड़ जाएंगे होश

चेक रिपब्लिक में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहां एक पूरा परिवार इंटरनेट से डेंटल इलाज सीखकर फर्जी डेंटिस्ट बन गया। इस परिवार में 44 साल का पिता, 50 साल की मां और 22 साल का बेटा शामिल हैं। इन लोगों ने किसी मेडिकल डिग्री या लाइसेंस के बिना दो साल पहले अपने घर में ही एक डेंटल क्लिनिक खोल लिया।

बेटे ने YouTube और गूगल से सीखा रूट कैनाल

परिवार के 22 वर्षीय बेटे ने इंटरनेट से रूट कैनाल और दांतों से जुड़ी अन्य बीमारियों का इलाज करना सीखा। वह खुद को प्रोफेशनल डेंटिस्ट की तरह पेश करता था और मरीजों का इलाज करता था। उसकी जानकारी का स्रोत सिर्फ ऑनलाइन वीडियो, आर्टिकल्स और ट्यूटोरियल्स थे।

मां बनी असिस्टेंट: इन्जेक्शन देना और उपकरण संभालना था काम

50 वर्षीय मां, जो पहले हेल्थकेयर इंडस्ट्री में काम कर चुकी थी, क्लिनिक में असिस्टेंट की भूमिका निभाती थी। उसे इन्जेक्शन देने और डेंटल ट्रीटमेंट के लिए जरूरी उपकरण संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी। उसकी मेडिकल ट्रेनिंग सीमित थी लेकिन उसे पेशेवर जैसा दिखाने की पूरी कोशिश की जाती थी।

पिता बनाता था नकली दांत, क्लिनिक का संचालन भी संभाला

44 वर्षीय पिता ने क्लिनिक में नकली दांत बनाना और बाकी ऑपरेशन संबंधी कार्यों को संभालने का जिम्मा लिया। वह खुद को अनुभवी तकनीशियन बताता था। इलाज की फीस भी बाकायदा ली जाती थी और मरीजों को विश्वास दिलाने के लिए क्लिनिक का पूरा सेटअप प्रोफेशनल बनाया गया था।

2 साल में करीब 1.5 करोड़ की कमाई

फर्जी क्लिनिक ने दो साल के भीतर लगभग 1.5 करोड़ रुपये की कमाई कर ली। इतने समय तक किसी को शक तक नहीं हुआ कि ये लोग डिग्रीधारी नहीं हैं। आखिरकार, एक मरीज को इलाज में समस्या होने पर जांच हुई और पूरा भंडाफोड़ हो गया।

पुलिस जांच में हुआ बड़ा खुलासा

जांच के दौरान यह साफ हुआ कि इन तीनों के पास कोई वैध मेडिकल डिग्री नहीं है। अब पुलिस ने क्लिनिक को बंद करवा दिया है और तीनों आरोपियों के खिलाफ मेडिकल फ्रॉड और जनता की सेहत से खिलवाड़ करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की लापरवाही पर भी उठे सवाल

इस मामले के सामने आने के बाद स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि बिना लाइसेंस के क्लिनिक दो साल तक कैसे चलता रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं मरीजों की जान के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं

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