DM का चौपाल बना जंग का मैदान: भिड़ गए दो गुट.. जमकर चले लात-घूंसे, देखते ही रह गए अधिकारी, फिर..

जिले के नवाबगंज क्षेत्र के तुलसीपुर माझा गांव में शनिवार को उस समय तनाव फैल गया जब जिलाधिकारी (डीएम) की चौपाल शुरू होने से पहले ही दो पक्ष वर्चस्व की लड़ाई को लेकर आमने-सामने आ गए। दोनों ओर से तीखी बहस के बाद हाथापाई और मारपीट शुरू हो गई, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए हालात को काबू में किया और पांच लोगों को हिरासत में लिया।

चौपाल से पहले गांव में वर्चस्व की होड़, विवाद ने लिया हिंसक रूप

ग्राम तुलसीपुर माझा में शनिवार को डीएम नेहा शर्मा की चौपाल प्रस्तावित थी, जहां गांव की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान किया जाना था। लेकिन चौपाल शुरू होने से ठीक पहले ग्राम प्रधान प्रतिनिधि लालजी सिंह और ग्रामीण अनिल सिंह के बीच कहासुनी हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों के लोग भिड़ गए और मारपीट करने लगे। प्रशासनिक आयोजन से पहले इस तरह की घटना से अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया।

डीएम को दी गई सूचना, पुलिस ने मौके पर किया हस्तक्षेप

जैसे ही यह घटना जिलाधिकारी के संज्ञान में आई, उन्होंने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। थानाध्यक्ष अभय सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर शांत कराया गया। डीएम ने सख्ती से कहा कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

शांतिभंग के आरोप में पांच लोग हिरासत में, कानूनी कार्रवाई जारी

पुलिस ने स्थिति नियंत्रित करने के बाद दोनों पक्षों से पांच लोगों को शांतिभंग की धाराओं में हिरासत में ले लिया है। थानाध्यक्ष अभय सिंह ने बताया कि मामला गंभीर था, इसलिए किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती गई। सभी को नियमानुसार कार्रवाई के लिए थाने लाया गया है।

गांव में तैनात हुई पुलिस फोर्स, शांति बहाली के लिए गश्त जारी

घटना को देखते हुए प्रशासन ने गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया है। चौपाल के शांतिपूर्वक संचालन और ग्रामीणों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लगातार गश्त की जा रही है। पुलिस कर्मियों की मौजूदगी से गांव में हालात सामान्य बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।

चौपाल के दौरान बनी रही सतर्कता, डीएम ने सुनी ग्रामीणों की समस्याएं

घटना के बावजूद डीएम नेहा शर्मा ने चौपाल का आयोजन नहीं रोका और गांव में पहुंचकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रशासन जनता के साथ है और शांति भंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। चौपाल के दौरान अधिकारियों की अतिरिक्त तैनाती की गई थी ताकि किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो।

ग्राम स्तर पर प्रशासनिक कार्यक्रमों के दौरान वर्चस्व की लड़ाई का उभरना न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि गांव के विकास में भी बाधा बनता है। गोंडा की यह घटना समय पर नियंत्रण में आ गई, लेकिन यह स्थानीय नेतृत्व और पंचायत राजनीति की गंभीर खामियों की ओर भी इशारा करती है।

 

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