“कुर्सी मिलने के बाद जनता को समझते कुत्ता-बिल्ली”, पहले “BJP अध्यक्ष” भड़के, Video Viral हुई तो जनता भड़की

उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर माला पहनाने आए कार्यकर्ता पर भड़कते नजर आए। इस वीडियो के सामने आने के बाद भाजपा की आंतरिक कार्यशैली और नेता-कार्यकर्ता संबंधों को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं।

जब ‘फूल’ ने भड़का दिया प्रदेश अध्यक्ष को

घटना कुशीनगर जिले की बताई जा रही है, जहां एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह को माला पहनाने के लिए मंच पर पहुंचा। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने सभी को चौंका दिया।
भूपेंद्र सिंह कार्यकर्ता को माला पहनाने से रोकते हुए गुस्से में कुछ तीखी बातें कहते हुए दिखे, जिसके बाद कार्यकर्ता असहज स्थिति में पीछे हट गया।

‘ये देख लेना…’ की चेतावनी बनी चर्चा का विषय

इस घटना का वीडियो पत्रकार प्रिय राजपूत द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किया गया, जिसमें स्पष्ट देखा जा सकता है कि भूपेंद्र सिंह मंच पर माला स्वीकार नहीं करते हैं और कार्यकर्ता को चेतावनी देते हुए कहते हैं – “ये देख लेना…”।
इस एक लाइन ने पूरे वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल बना दिया, और यूजर्स ने इसे सत्ता की ‘घमंडपूर्ण भाषा’ करार दिया।

“वोट मांगते समय जनता याद आती है, बाद में कुत्ता-बिल्ली समझते हैं”

वीडियो वायरल होने के बाद आम जनता ने भी जमकर नाराजगी जताई। कई लोगों ने टिप्पणी की “जब चुनाव आते हैं, तो यही कार्यकर्ता और आम जनता याद आते हैं। लेकिन जब सत्ता में पहुंच जाते हैं, तो मंच पर अपमान करना शुरू कर देते हैं।”
एक यूजर ने लिखा, “माला पहनाने वाले कार्यकर्ता को डांटना अपमानजनक है। ये वही कार्यकर्ता हैं जिनके दम पर सरकार बनती है।”

भाजपा की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं

घटना के बाद भाजपा की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इस पर निजी तौर पर सफाई देते हुए कहा कि यह केवल मंच प्रबंधन से जुड़ी स्थिति थी, जिसे जानबूझकर तूल दिया जा रहा है।
वहीं, विपक्षी दलों ने इसे भाजपा के अहंकार और कार्यकर्ता विरोधी रवैये का उदाहरण बताया है।

राजनीति में नेतृत्व की भाषा और व्यवहार पर सवाल

यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी राजनीतिक नेता द्वारा मंच पर कार्यकर्ताओं को डांटते या अनदेखा करते देखा गया हो।
लेकिन जब यह व्यवहार प्रदेश अध्यक्ष जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी द्वारा सार्वजनिक रूप से होता है, तो इससे पार्टी के संगठनात्मक अनुशासन और कार्यकर्ता सम्मान की भावना को चोट पहुंचती है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं चुनाव से पहले पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं, खासकर जब विपक्ष पहले से ही भाजपा पर “घमंड में डूबी सरकार” का आरोप लगा रहा हो।

कुशीनगर की यह घटना एक छोटी-सी हरकत की तरह दिख सकती है, लेकिन इसके प्रभाव राजनीतिक और जनमानस दोनों स्तरों पर गंभीर हो सकते हैं। जब भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मंच से कार्यकर्ताओं को सार्वजनिक रूप से झिड़कता है, तो यह सवाल उठता है —
क्या सत्ता में आने के बाद नेतृत्व कार्यकर्ताओं और जनता के सम्मान को भूल रहा है?

 

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