बड़ी खबर: छत्तीसगढ़ में IED ब्लास्ट.. 5 ग्रेहाउंड जवान शहीद, 8 नक्सली ढेर.. सुरंग में बिछाया था जाल

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर एक बार फिर नक्सलियों ने खूनी खेल खेला है। बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ पर चल रहे अब तक के सबसे बड़े एंटी-नक्सल ऑपरेशन के दौरान वज़ीदू क्षेत्र में ग्रेहाउंड्स बल की टीम पर भीषण हमला हुआ। इस IED हमले में तेलंगाना पुलिस की स्पेशल फोर्स ग्रेहाउंड्स के 5 जवान शहीद हो गए, जबकि एक जवान की हालत गंभीर बनी हुई है।
IED धमाके में 5 जवान शहीद, सुरंग में लगाया गया था विस्फोटक
जानकारी के अनुसार, सुरक्षाबलों की टीम नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए वज़ीदू से रवाना हुई थी। जैसे ही टीम छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के सुकमा ज़िले की ओर बढ़ी, नक्सलियों ने पहले से एक सुरंग में IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बिछा रखा था। इसी के विस्फोट में 5 जवान मौके पर ही शहीद हो गए और एक गंभीर रूप से घायल हुआ है।
मुठभेड़ में 8 नक्सली मारे गए, दो शीर्ष कमांडर भी शामिल
IED विस्फोट के बाद शुरू हुई जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी मोर्चा संभाल लिया। रिपोर्ट के अनुसार, इस भीषण मुठभेड़ में 8 नक्सली ढेर कर दिए गए हैं। मारे गए नक्सलियों में दो बड़े कमांडरों की पहचान हुई है—सीसी सदस्य चंद्रना और एसजेडसीएम (SZCM) बंडी प्रकाश। यह ऑपरेशन अभी भी जारी है और आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है।
कर्रेगुट्टा में अब तक का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन
यह मुठभेड़ ऐसे समय पर हो रही है जब कर्रेगुट्टा पहाड़ पर अब तक का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस ऑपरेशन में केंद्रीय बलों के साथ-साथ तेलंगाना और छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल टुकड़ियां भी शामिल हैं। ऑपरेशन का उद्देश्य नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उनके ठिकानों को खत्म करना है।
शहीद जवानों को श्रद्धांजलि, आगे की रणनीति पर मंथन
शहीद हुए जवानों की शहादत पर तेलंगाना और केंद्र सरकार की ओर से गहरा शोक व्यक्त किया गया है। गृह मंत्रालय ने सुरक्षा एजेंसियों से पूरे ऑपरेशन की रिपोर्ट मांगी है। वहीं, यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या सुरक्षा बलों को अधिक उन्नत तकनीक और उपकरणों की जरूरत है ताकि ऐसे हमलों को रोका जा सके।
क्या नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है संघर्ष?
तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में हो रही यह कार्रवाई यह संकेत देती है कि सुरक्षा बल नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक दौर में प्रवेश कर चुके हैं। लेकिन, लगातार हो रहे शहीदों के नुकसान के बीच यह भी जरूरी है कि ग्राउंड इंटेलिजेंस, IED डिटेक्शन तकनीक और रणनीतिक मोर्चों पर नई सोच अपनाई जाए।