Farmers Protest: किसानों और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत खत्म

नई दिल्ली : केंद्र सरकार (Central Government) के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन 56वें दिन भी हुई। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े आंदोलनरत किसानों के साथ सरकार की 10वें दौर की वार्ता दिल्ली के विज्ञान भवन में खत्म हो गई है। बातचीत बेनतीजा रही है, लेकिन सरकार ने कृषि कानूनों को एक साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव किया है, लेकिन किसानों ने इसे ठुकरा दिया है और कानून रद्द करने पर अड़े हैं।

बता दें कि यह बैठक 19 जनवरी को होनी थी, लेकिन कुछ कारणों से इसे एक दिन के लिए मुल्तवी कर दिया गया था। बता दें कि 10वें दौर की बातचीत से पहले दोनों पक्षों की ओर से अलग-अलग बयान दिए गए, जिसके बाद इस बैठक में तनातनी का माहौल बन सकता है।

सुप्रीम कमेटी की किसानों से बातचीत कल

कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट से बनी कमेटी की किसानों के साथ बातचीत 21 जनवरी सुबह 11 बजे होगी। कमेटी के सदस्यों ने कहा कि वे किसी के पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं, न ही किसानों से बातचीत में अपनी निजी राय हावी होने देंगे। यहां पूसा परिसर में मंगलवार को हुई कमेटी की पहली बैठक के बाद शेतकारी संगठन के प्रमुख अनिल घनवट ने मीडिया से बातचीत में कहा कि समिति 21 जनवरी को किसानों और अन्य हितधारकों से पहले चरण की वार्ता करेगी।

बातचीत में अपनी निजी राय हावी नहीं होने देंगे- कमेटी

उन्होंने कहा कि समिति की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शनकारी किसानों को बातचीत के लिए तैयार करने की होगी। हम इसका यथासंभव प्रयास करेंगे। घनवट ने कहा कि समिति केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा किसानों और सभी अन्य हितधारकों की कृषि कानूनों पर राय जानना चाहती है। घनवट के मुताबिक कमेटी उन सभी से राय लेगी जो इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं अथवा समर्थन कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार से कहेंगे वह भी अपना पक्ष कमेटी के समक्ष रखे। घनवट ने बताया कि कमेटी जल्द ही एक वेबसाइट भी तैयार करने की कोशिश कर रही है, ताकि जो लोग कमेटी के समक्ष आकर अपनी बात कहने की स्थिति में नहीं हैं, वे वेबसाइट पर अपनी राय रख सकें।

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