क्या इस बार बीजेपी से यह सीट छीन पाएगी सपा, जानिए उस जगह के बारें में

बरखेड़ा विधानसभा सीट पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश, भाजपा का है गढ़

लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर जोरो पर है। वही भाजपा पर हर क्षेत्र को घेरने की कोशिश कर रही है। बता दे उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की बरखेड़ा विधानसभा सीट पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश की विधानसभा कही जा सकती है। पीलीभीत, बीसलपुर, पूरनपुर के मध्य का सारा ग्रामीण क्षेत्र इसी विधानसभा सभा क्षेत्र में आता है। बरखेड़ा विधानसभा में बरखेड़ा के नाम से एक नगर पंचायत है। यहां की जनसंख्या में लोध किसान बिरादरी ज्यादा हैं। लोग मुख्यता खेती-किसानी से अपनी जीविका चलाते है। धान, गेंहू और गन्ना यहां की मुख्य फसल है। इस क्षेत्र की राजनीति भी लोध किसान नेताओं पर टिकी है। सभी पार्टियों से लोध किसान बिरादरी के नेता ही टिकट मांगने में जुटे हैं।

आपको बता दे कि यह क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां एकतरफा वोट मिलता दिखा था। इतना ही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में मंडल की सबसे बड़ी जीत बीजेपी के उम्मीदवार को मिली थी। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में सपा यह सीट बीजेपी से छीनने की पूरी कोशिश कर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी सांसद वरुण गांधी को सबसे ज्यादा वोट मिला था, इसलिए उनके लिए यहां बीजेपी उम्मीदवार को जिताकर भेजने की चुनौती होगी।

जानिए क्या है बरखेड़ा विधानसभा का इतिहास

1967 में परिसीमन होने के बाद पहला चुनाव हुआ और जनसंघ पार्टी ने अपना विधायक बनाया। इसके बाद वर्ष 1967, 1969 और 1974 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ पार्टी के किशोरी लाल लगातर तीन बार विधायक बने। वर्ष 1977 में भी किशोरी लाल लगातार चौथी बार विधायक बने, लेकिन इस बार वह जनता दल के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे थे। इसके बाद 1980 में कांग्रेस (आई) ने खाता खोला और यहां से बाबूराम ने जीत दर्ज की। हालांकि वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में किशन लाल फिर बीजेपी के टिकट पर एमएलए बने। इसके बाद 1989 सन्नू लाल निर्दलीय जीते और फिर 1991 और 1993 में लगातार दो बार फिर बीजीपी से किशन लाल को जनता ने चुना। वहीं वर्ष 1996 और 2002 के विधानसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार पीतमराम यहां जीत कर आये। इसके बाद 2007 में सुखलाल बीजेपी से जीत कर विधायक बने और फिर वर्ष 2012 में हेमराज वर्मा चुनाव जीते और सपा सरकार में मंत्री भी बने। वहीं वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते बीजेपी के किशन लाल राजपूत भारी मतों से जीत कर विधायक बने।

सपा भी देती रही है भाजपा को टक्कर

यहां बीते कई बार के चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच टक्कर देखने को मिलती रही है। यहां पर कभी भाजपा तो कभी समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार विधायक बना है। इस विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले सपा के कद्दावर नेता हाजी रियाज अहमद का दबदबा रहता था। हालांकि कोरोनाकाल में रियाज की मौत के बाद सपा का दबदवा कम हुआ है। इस क्षेत्र में बीजेपी नेता और सांसद वरुण गांधी तथा उनकी मां मेनका गांधी का दबदबा सभी चुनाव में देखने को मिलता है। यहां समाजवादी पार्टी जहां मुस्लिम और छोटी-छोटी जातियों के साथ उम्मीदवार की बिरादरी मिलाकर चुनाव लड़ती है, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी पूरे तरीके से हिंदुत्व के एजेंडे पर मैदान मारने में भरोसा करती है। बीते चार विधानसभा चुनाव में बीजेपी-सपा के बीच ही यहां मुकाबला रहा है।

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