5-5 हजार रुपए में बांग्लादेश से बंगाल में घुसते हैं घुसपैठिए, BJP बोली; यहां जिहादी खेला चल रहा

बंगाल में 50 किमी अंदर तक एक्शन ले सकेगी BSF:

केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल, यानी BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिया है। अब BSF पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय क्षेत्र के अंदर 50 किमी तक तलाशी अभियान चला सकेगी। इस नए बदलाव में पश्चिम बंगाल भी आ रहा है। यहां अभी तक BSF बॉर्डर से 15 किमी अंदर तक ऑपरेशन कर सकती थी, लेकिन अब 50 किमी तक कर सकती है।

पश्चिम बंगाल 2216 किमी की बॉर्डर बांग्लादेश के साथ साझा करता है और यहां बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ बड़ी समस्या है। BJP ने इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया था। BJP प्रवक्ता शमिक भट्‌टाचार्य ने भास्कर से कहा कि, बंगाल में लंबे समय से जिहादी कार्यक्रम चल रहे हैं। अब इन पर कहीं न कहीं लगाम लगेगी।

हमने बांग्लादेश-पश्चिम बंगाल बॉर्डर के नजदीक स्थित बनगांव में कई सालों से रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार, पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट, रक्षा विशेषज्ञ और TMC-BJP दोनों पार्टी के नेताओं से बात कर इस पूरे मामले को समझने की कोशिश की। पढ़िए ये रिपोर्ट…

1 से 5 हजार रुपए में रात में होती है घुसपैठ

भारत कुल 4096 किमी बॉर्डर बांग्लादेश के साथ साझा करता है। इसमें सबसे ज्यादा 2216 किमी की बॉर्डर बंगाल के साथ लगी हुई है। बंगाल के 8 जिले- उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, मालदा, मुर्शिदाबाद, नदिया, बरसात, नॉर्थ 24 परगना, साउथ 24 परगना बांग्लादेश बॉर्डर के साथ लगे हुए हैं।

नॉर्थ 24 परगना जिले में ही बनगांव सब डिवीजन आता है, यहां 15 सालों से भी ज्यादा समय से एक बांग्ला दैनिक के लिए रिपोर्टिंग कर रहे अनिरुद्ध शाह के मुताबिक, बांग्लादेश से बनगांव में घुसपैठ होना बहुत आम बात है। इसके लिए दोनों ही तरफ दलाल घूमते रहते हैं। ये 1 से 5 हजार रुपए में रात के समय में बॉर्डर आसानी से क्रॉस करवा देते हैं। ​​​​​​

शाह कहते हैं, इन दलालों की BSF के ही कुछ जवानों से सेंटिग होती है, उन्हीं की मदद से ये बॉर्डर क्रॉस करवाते हैं। बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आने वाले अधिकतर बंगाली मुस्लिम होते हैं। अधिकतर 15 से 45 साल के बीच के होते हैं, जो काम के सिलसिले में भारत आते हैं। पश्चिम बंगाल के जरिए ही ये लोग अलग-अलग राज्यों में दाखिल होते हैं।

वहीं पश्चिम बंगाल के ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके रिश्तेदार बांग्लादेश में रहते हैं, ये लोग उनसे मिलने के लिए बॉर्डर क्रॉस करते हैं। बड़ी संख्या में अवैध रूप से बांग्लादेशी पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं और अब बहुतों के पास आधार कार्ड और वोटर ID कार्ड आ चुका है।

BSF बॉर्डर पर तो चेकिंग करती है, लेकिन अंदर अंदरूनी इलाकों में सर्चिंग रेयर ही होती रही है। अब हो सकता है कि 50 किमी तक का दायरा होने पर अंदरूनी इलाकों में सर्चिंग बढ़े।

BSF घुसपैठियों को पकड़ती है लेकिन पुलिस गंभीरता से कार्रवाई नहीं करती

इसी साल फरवरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में सीमा पार से घुसपैठ के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को दोषी ठहराया था। हालांकि, उन्होंने कहा था कि 2016 से 2020 के बीच घुसपैठ में कमी आई है।

एक सवाल का जवाब देते हुए राय ने कहा था कि बांग्लादेश से 60 किमी लंबी बॉर्डर खुली हुई है, क्योंकि 33 भूमि अधिगृहण प्रस्ताव पश्चिम बंगाल सरकार के पास लंबित हैं। घुसपैठिए खुली बॉर्डर से अंदर आने की कोशिश करते थे, लेकिन BSF उन्हें सफलतापूर्वक रोक देती है।

उन्होंने कहा कि, 2016 से 2019 के बीच सीमा पार से घुसपैठ के कुल 2548 मामले सामने आए थे, लेकिन 2104 मामलों में ही FIR दर्ज की गई।

इसी समय में FIR में दर्ज आरोपियों की संख्या 4189 थी, लेकिन 4072 ही गिरफ्तार किए गए। 1134 मामलों में चार्जशीट दायर की गई, लेकिन 212 मामलों में ही दोष सिद्ध हुआ।

BSF संदिग्धों को पकड़कर स्थानीय पुलिस को सौंप देती है, लेकिन राज्य पुलिस उतनी गंभीरता से एक्शन नहीं लेती, जितनी गंभीरता से उसे एक्शन लेना चाहिए।

राय ने ये भी बताया था कि, 2126 किमी लंबी बॉर्डर में से 319 किमी में टोपोग्राफिकल बाधाओं के चलते फेंसिंग नहीं की जा सकती।

पुलिस से कोई नोंकझोंक नहीं होगी, नेताओं को जरूर दिक्कत हो सकती है

रक्षा विशेषज्ञ एनके त्रिपाठी के मुताबिक, ‘पाकिस्तान द्वारा भारत में घुसपैठ करवाने की कोशिशें की जा रही हैं, सिर्फ इसी को रोकने के लिए ये कदम उठाया गया है। पाकिस्तानी समर्थक बांग्लादेश से भी घुसने की कोशिश करते हैं, लेकिन मुख्य समस्या पंजाब और जम्मू-कश्मीर की है, जहां से अवैध अतिक्रमण हो रहा है।

BSF का दायरा बढ़ाने से सीधा फायदा देश को होने वाला है। ये सब फालतू की बातें हैं कि, इससे BSF और पुलिस के बीच कोई नोंकझोंक होगी। हां, नेताओं को जरूर प्रॉब्लम हो सकती है। इस मामले में राजनीति नहीं होना चाहिए।‘

रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और चुनाव विश्लेषक डॉ. विश्वनाथ चक्रवर्ती के मुताबिक, मोदी सरकार को यह कदम बहुत पहले उठाना चाहिए था, क्योंकि अवैध घुसपैठ पश्चिम बंगाल की बड़ी समस्या है। बांग्लादेश और चीन के मुकाबले हमारी सेना के पास कम पावर हैं। नई परिस्थितियों के बाद सेना का पावर तो बढ़ाना ही होगा।

चक्रवर्ती कहते हैं, बंगाल में इसका पॉलिटिकल इम्पैक्ट तो होगा, लेकिन वो कोई मायने नहीं रखता क्योंकि BJP और TMC की राजनीति में डिस्प्ले ज्यादा है, रियलिटी कम है।

हमने TMC सांसद शुखेंदु शेखर रॉय से इस मामले में कमेंट मांगा तो उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि, अभी राज्य सरकार की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है। अभी हम कुछ कमेंट नहीं करेंगे।

दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि केंद्र सरकार देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है। कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों के जरिए हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है।

हम सालों से मांग कर रहे थे, अब पूरी हुई

इस मामले में पश्चिम बंगाल BJP प्रवक्ता शमिक भट्‌टाचार्य ने भास्कर से कहा कि, बांग्लादेश से सिर्फ अवैध घुसपैठ ही नहीं हो रही थी, बल्कि बहुत सारे जिहादी कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। देश विरोधी नारे और हिंदू विरोधी नारे आम हैं। हमारी यह सालों पुरानी मांग थी, क्योंकि यह देश की आंतरिक सुरक्षा का मामला है।

“जो लोग कह रहे हैं कि यह संघीय ढांचे में घात है उनसे पूछना चाहता हूं कि, गुजरात में तो 80 किमी तक का दायरा था, उसे अब 50 किया गया है, क्या वहां भी संघीय ढांचे को तोड़ा जा रहा है। दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था केंद्र सरकार देखती है तो क्या वहां भी संघीय ढांचा टूट रहा है। अफगानिस्तान में जो हुआ उसके बाद सभी अपनी सुरक्षाएं मजबूत कर रहे हैं। बदलती दुनिया के हिसाब से भारत में कदम उठाए जा रहे हैं, जो बेहद जरूरी हैं।”

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