Uttarakhand में आखिर क्या है कांवड़ यात्रा को कैंसिल करने के पीछे का कारण… जानिए

देहरादून. एक हफ्ता पहले उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कमान संभाली तो कावड़ यात्रा को लेकर सरकार की टोन भी बदलने लगी. पिछले हफ्ते जब पुलिस अधिकारी देहरादून में कावड़ यात्रा की रोक को लेकर मीटिंग कर रहे रहे थे. ठीक उसी दिन मुख्यमंत्री कांवड़ यात्रा को लेकर अंतिम निर्णय नहीं होने की बात कह रहे थे. शायद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर हुई चर्चा के बाद उत्तराखंड के नए सीएम का मूड बदल गया था. लेकिन हफ्ते भर में ऐसा क्या हुआ कि आखिरकार उत्तराखंड को कावड़ यात्रा से अपने पैर पीछे खींचने पड़े?
सूत्र बताते हैं कि एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यात्रा कराने को लेकर तैयार थे वहीं दूसरी और उनको अफसर समझाने की कोशिश कर रहे थे कि उत्तराखंड सरकार इस यात्रा से पिछले महीने ही अपने पैर पीछे खींच चुकी है. इसी साल अप्रैल में हुए कुंभ के बाद जिस तरह से कोविड के मामले बड़े थे और देशभर में उत्तराखंड की फजीहत हुई, उसको देखते हुए यात्रा करवाने का जोखिम लेना और कोर्ट से परमिशन मांगना दोनों ही टेढ़ी खीर दिख रहे थे. हाईकोर्ट में कोविड को लेकर सुनवाई चल रही है और इसी के दौरान पिछले महीने उत्तराखंड सरकार की तरफ से मुख्य सचिव ने एफिडेविट दाखिल कर इस बात को कहा था कि सरकार इस साल कांवड़ यात्रा नहीं करवाएगी. 30 जून को बकायदा यात्रा कैंसिल करने को लेकर एक नोटिफिकेशन भी आया. इधर बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के चलते 4 जुलाई को नए मुख्यमंत्री धामी ने कमान संभाल ली और बातें बदलती सी नजर आईं.

कावड़ यात्रा के क्या हैं राजनीतिक मायने
2019 के आंकड़े बताते हैं कि हरिद्वार और ऋषिकेश में कोई तीन करोड़ कावड़ यात्री आए थे. करोड़ों शिव भक्तों की आस्था की प्रतीक इस यात्रा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और हिमाचल प्रदेश से यात्री आते हैं. यूपी के मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि उनकी सरकार यात्रा करवा रही है. गौरतलब है कि दो अन्य भाजपा शासित राज्य हिमाचल प्रदेश और हरियाणा ने अभी इस मामले पर साफ-साफ कुछ नहीं कहा है. वही राजस्थान, पंजाब और दिल्ली ने भी फिलहाल कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी की राजनीति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बड़ा चेहरा हैं. युवा वोटर्स के बीच उनकी इमेज एक हीरो के मानिंद है. शिवभक्त सोशल मीडिया में लगातार योगी से यात्रा को शुरू किए जाने की मांग कर रहे थे और इसी को लेकर संभवत यूपी ने हरी झंडी दिखाई है. लेकिन जहां तक सवाल उत्तराखंड का है कुंभ में लगातार फजीहत होने के बाद सरकारी अधिकारी अच्छी तरह से जानते थे कि अब कोई भी यात्रा कराना उनके लिए मुसीबत का सबब हो सकता है. खासकर ऐसे समय में जब हाईकोर्ट भी उन पर कड़ी नजर रख रहा है. ये एक वजह बनी उत्तराखंड सरकार के कांवड़ से पीछे हटने की.

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