कहीं आपको हुआ ये तेज़ बुखार डेंगू तो नही! रहें सावधान क्योंकि खतरनाक है ये मौसम!

मानसून का मौसम मज़े के साथ साथ ढेर सारे मच्छर और बीमारियों का खतरा भी लाता है। वायरल बुखार, खांसी-ज़ुखाम, एच1एन1 फ्लू, और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां इस मौसम में तेज़ी से पनपती और फैलती हैं। हाल ही में देश में जापानी बुखार ने भी कई जाने ली। बारिश के साथ ही डेंगू भी लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू करने लगता है। ऐसे में जहाँ ज़रा सी समझदारी और देख-रेख जान बचा सकती है, वहीं ज़रा सी लापरवाही आपकी जान ले भी सकती है। तो आइए जानते हैं डेंगू से बचने के ये छोटे पर असरदार तरीके:-

डेंगू क्या और क्यों होता है

डेंगू बुखार एडीज-इजिप्टी मच्छर के काटे से होता है। मच्छर के काटने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। इससे होने वाले बुखार को ‘हड्डीतोड़’ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि पीड़ित व्यक्ति को बहुत दर्द होता है, जैसे उनकी हड्डियां टूट रही हों। शुरुआत में यह बुखार सामान्य बुखार जैसा ही लगता है, जिसके कारण सामान्य बुखार और डेंगू के लक्षणों में फर्क समझ नहीं आता है।

डेंगू के लक्षण

ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना
सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना
बहुत ज्यादा कमजोरी लगना
भूख न लगना
जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना
गले में हल्का-सा दर्द होना
शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना

डेंगू बुखार के प्रकार

सामान्य डेंगू बुखार– इसमें बुखार के साथ तेज बदन दर्द, सिर दर्द खास तौर पर आंखों के पीछे और शरीर पर दाने हो जाते है। यह जल्द ठीक हो जाता है। एक डेंगू बुखार ऐसा भी होता है जिसमें लक्षण नहीं उभरते। ऐसे मरीज का टेस्ट करने पर डेंगू पॉजिटिव आता है लेकिन वह खुद-ब-खुद बिना किसी इलाज के ठीक हो जाता है।

क्लासिकल डेंगू बुखार– यह डेंगू फीवर एक नॉर्मल वायरल बुखार है। इसमें तेज बुखार, बदन दर्द, तेज सिर दर्द, शरीर पर दाने जैसे लक्षण दिखते हैं। यह डेंगू 5-7 दिन के सामान्य इलाज से ठीक हो जाता है।

डेंगू हेमरेजिक बुखार– यह थोड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। इसमें प्लेटलेट और वाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम होने लगती है। नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना या स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के चकते जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।

डेंगू शॉक सिंड्रोम– इसमें मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है, उसके खून का दौरा(बीपी) और नब्ज एकदम कम हो जाती है और तेज बुखार के बावजूद स्किन ठंडी लगती है।

कैसे लगाएं डेंगू का पता

लक्षणों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। उपर्युक्त लक्षण दिखते ही खून की जांच कराएं।
डेंगू की जांच के लिए मरीज के खून में ऐंटीजन IgM और IgG व प्रोटीन NS-1 देखे जाते हैं। NS-1 की मौजूदगी से यह पता चलता है कि मरीज के अंदर डेंगू वायरस का इंफेक्शन है लेकिन जरूरी नहीं कि उसे डेंगू बुखार हो। IgM और IgG में से अगर केवल IgG पॉजिटिव है तो इसका मतलब है कि मरीज को पहले कभी डेंगू रहा है। कभी-कभी इन तीनों में से किसी के भी पॉजिटिव होने पर डॉक्टर मरीज में डेंगू का डर पैदा करके उनसे ठगी कर लेते हैं। डेंगू में प्लेटलेट्स और PCV दोनों का ध्यान रखना जरूरी है। PCV टेस्ट खून में रेड ब्लड सेल्स की संख्या (प्रतिशत में) बताता है। यह सेहतमंद पुरुषों में 45 फीसदी और महिलाओं में 40 फीसदी होता है। डेंगू में यह प्रतिशत बढ़ सकता है। इसके बढ़ने का मतलब खून का गाढ़ा होना है। अगर PCV बढ़ रहा है तो यह मरीज के लिए खतरनाक है।

डेंगू से बचाव कैसे करें

घर

डेंगू से बचाव के लिए मच्छरों को पैदा होने से रोकें और खुद को काटने से भी बचाएं।
कहीं भी खुले में पानी जमा न होने दें। बाथरूम, किचन आदि में जहां पानी रुका रहता है, वहां दिन में एक बार मिट्टी का तेल डाल दें।
चूँकि डेंगू का मच्छर साफ़ पानी में पनपता है, तो साफ़ पानी भी ज़्यादा समय तक भर कर न रखें। कूलर और दूसरे पानी के बर्तन समय-समय पर साफ़ कर दोबारा भरे। छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें या उलटा करके रखें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। घर के अंदर सभी जगहों पर हफ्ते में एक बार मच्छर-नाशक दवाई का छिड़काव जरूर करें।

कपडे

घर से बाहर शरीर को पूरा ढक कर जाएं। खासकर बच्चों के लिए इस बात का जरूर ध्यान रखें।
मच्छर गाढ़े रंग की तरफ ज़्यादा आकर्षित होते हैं इसलिए हल्के रंग के कपड़े पहनें।
तेज महक वाली परफ्यूम लगाने से बचें क्योंकि मच्छर किसी भी तरह की तेज महक की तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं।

इलाज

घर में ही पायी जाने वाली इन चीज़ों के उपयोग से आप डेंगू से बच सकते हैं। डेंगू होने के बाद इलाज के तौर पर भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
1. गिलोय
आयुर्वेद में गिलोय एक बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है। यह शरीर के मेटाबॉलिज़्म को बनाए रखने में मदद करता है, इम्युनिटी को मजबूत करता है और आपके शरीर को संक्रमण से बचाता है। गिलोय की छोटी टहनियों को पानी में उबाल कर पिया जा सकता है। आप पेय में तुलसी के कुछ पत्ते भी मिला सकते हैं।
2. पपीते के छिलके
यह प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करता है और बुखार के लक्षणों को कम करता है। शरीर में दर्द, ठंड लगना, कम महसूस होना, आसानी से थक जाना और मितली आना जैसे लक्षण को कम करने में कारगर है।
3. मेथी के पत्ते
इन पत्तियों को बुखार कम करने, दर्द कम करने और रोगियों के लिए अधिक आरामदायक नींद को बढ़ावा देने के लिए शामक के रूप में जाना जाता है। आप पत्तियों को पानी में भिगो सकते हैं और फिर इसे पी सकते हैं। आप मेथी पाउडर भी प्राप्त कर इसे पानी के साथ मिला सकते हैं और इसे लगा सकते हैं।
4. हल्दी
यह शरीर के मेटाबॉलिज़्म को बढाती है और उपचार प्रक्रिया को तेज करने में मदद करती है। आप दूध के साथ हल्दी का सेवन कर सकते हैं।

5. तुलसी के पत्ते और काली मिर्च
तुलसी के पत्ते और लगभग 2 ग्राम काली मिर्च को पानी में उबाल कर पिए। यह पेय आपकी इम्युनिटी बनाने में मदद करता है और एक जीवाणुरोधी(एंटी-बैक्टीरियल) तत्व के रूप में कार्य करता है।

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