Waqf Act: “वक्फ इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं” – सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार, जानिए क्यों कहा ? और अब..

1 मई 2025, नई दिल्ली — केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम 1995 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि वक्फ इस्लाम का अनिवार्य धार्मिक हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक दान की व्यवस्था है। सरकार ने तर्क दिया कि वक्फ को संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में नहीं माना जा सकता।

वक्फ: एक धर्मनिरपेक्ष दान प्रणाली

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि वक्फ एक इस्लामी विचार है, लेकिन यह इस्लाम का मूल या अनिवार्य हिस्सा नहीं है। यह केवल इस्लाम में दान देने की व्यवस्था है, जैसे ईसाई धर्म में चैरिटी, हिंदू धर्म में दान और सिख धर्म में सेवा की परंपरा होती है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड केवल धर्मनिरपेक्ष कामकाज करते हैं, जबकि मंदिर पूरी तरह धार्मिक संस्थाएं होती हैं।

वक्फ-बाय-यूज़र प्रावधान हटाया गया

सरकार ने यह भी बताया कि ‘वक्फ-बाय-यूज़र’ (यानी लंबे समय तक धार्मिक उपयोग के आधार पर किसी ज़मीन को वक्फ घोषित करना) का प्रावधान अब नए कानून में हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि किसी को भी सरकारी ज़मीन पर स्थायी अधिकार नहीं मिल सकता और सरकार ऐसी ज़मीन को पुनः प्राप्त कर सकती है, चाहे वह वक्फ घोषित कर दी गई हो।

नया कानून: पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में कदम

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1923 से चली आ रही वक्फ से जुड़ी समस्याएं अब नए कानून से हल की गई हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमें 96 लाख सुझाव मिले और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की 36 बैठकें हुईं। कुछ याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय की राय का दावा नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि संसद से पारित किसी भी कानून को संवैधानिक माना जाता है, जब तक कि उसके खिलाफ कोई बहुत ही स्पष्ट और गंभीर मामला पेश न किया जाए। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि अंतरिम राहत के लिए याचिकाकर्ताओं को एक बहुत मजबूत और स्पष्ट मामला बनाना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के आगामी निर्णय का इंतजार

केंद्र सरकार की यह दलील कि वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है, बल्कि एक दान की व्यवस्था है, वक्फ अधिनियम की वैधता पर चल रही बहस में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आगामी निर्णय से यह स्पष्ट होगा कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाएगा।

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