“जब एक मतदाता के लिए बूथ बना, तो 40 बच्चों के लिए स्कूल क्यों नहीं ?” – स्कूल विलय मामले पर अखिलेश !

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए सवाल उठाया है कि यदि एक वोटर के लिए मतदान बूथ बन सकता है, तो 40 बच्चे पढ़ने के लिए छोटा सरकारी स्कूल क्यों नहीं चलाया जा सकता? उन्होंने इसे शिक्षा के अधिकार के खिलाफ बड़ी साजिश बताया।

सरकार की रणनीति

सरकार का दावा है कि लगभग 1.4 लाख सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से करीब 29,000 ऐसे स्कूल हैं जिनमें प्रवेश संख्या 50 या उससे कम है। इनमें से कई को पास के बड़े स्कूलों में विलय कर दिया गया है ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग और शिक्षक-इन्फ्रास्ट्रक्चर का युक्तिसंगत विस्तार हो सके।

‘दिखाई नहीं देंगे तो याद भी नहीं रहेंगे’

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया (X) पर लिखा: “जो चीज़ निगाह से दूर होती है, वह दिमाग से भी दूर हो जाती है… जब आसपास स्कूल ही नहीं दिखेंगे, तो शिक्षा की प्रेरणा भी समाप्त हो जाएगी।”

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर एक वोटर के लिए बूथ लगाना संभव है तो 30-40 बच्चों के लिए स्कूल खोलना क्यों मुश्किल है।

https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1940640811110289471

राजनीतिक चौतरफा हमले

अखिलेश यादव ने इसे PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्गों को शैक्षिक रूप से वंचित करने की रणनीति करार दिया। उनके शब्दों में: “शिक्षित लोग भाजपा की नकारात्मक राजनीति स्वीकार नहीं करते, इसलिए उन्हें शिक्षित नहीं रहने दिया जा रहा।”

उन्होंने चेतावनी दी कि जब शिक्षा घटेगी तो विचारधारा पर आधारित संगठनों का प्रभाव बढ़ेगा।

विरोध में राजनेताओं की प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस, BSP और NSUI ने भी इस कदम का विरोध किया है।

बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा कि इससे गरीब बच्चों का प्राथमिक शिक्षा तक पहुँच प्रभावित होगी ।

कांग्रेसी नेताओं ने विलय को “गरीब-विरोधी” बताया।

सरकार का बचाव

सरकारी तर्क यह है कि कम नामांकन, शिक्षक-संकट और बुनियादी सुविधाओं में दोहराव को खत्म करने के लिए यह कदम लिया गया है। अधिकारी बताते हैं कि इससे बच्चों को बेहतर रिजल्ट के साथ पढ़ाई का अवसर मिलेगा।

शिक्षा बनाम वोटिंग पीठ

यह मामला शिक्षा के अधिकार, सरकार की प्राथमिकता, और ग्राम स्तर की सेवाओं के बीच सहज संतुलन की लड़ाई बन चुका है। जैसे-जैसे स्कूल विलय का असर गहराएगा, यह देखा जाना है कि यह सरकार के लिए वोट बैंक, शिक्षा-प्राप्ति और राजनीतिक स्थिरता में क्या रोल निभाएगा।

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