69 लाख का बिल देख बुजुर्ग की बिगड़ी तबीयत, सिर्फ 3 बल्ब के घरों को भी मिले 7-7 लाख के बिल ! स्मार्ट मीटर बना आफत

केंद्र सरकार की स्मार्ट मीटर योजना का उद्देश्य भले ही पारदर्शिता और सटीक बिलिंग रहा हो, लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में यह योजना उपभोक्ताओं के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं बन गई है। शहर में बिना पूर्व सूचना के लगाए गए स्मार्ट मीटर अब आम लोगों को लाखों के बिजली बिल थमा रहे हैं। इस गड़बड़ी ने न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
69 लाख का बिल
होमगार्ड रोड निवासी बुजुर्ग मुरारीलाल तिवारी को 69 लाख 75 हजार 854 रुपए का बिजली बिल थमाया गया। बिल देखने के बाद उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया, उन्हें चक्कर आए और तत्काल अस्पताल ले जाना पड़ा। तिवारी और उनकी पत्नी अकेले रहते हैं, जबकि उनके बेटे बाहर नौकरी करते हैं।
उन्होंने बताया कि कुछ समय के लिए वे बेंगलुरु अपने बेटे के पास गए थे, इसी दौरान बिना किसी सूचना के उनके घर स्मार्ट मीटर लगा दिया गया। वापस लौटने पर उन्हें लाखों का बिल मिला, जबकि मीटर में केवल 219 यूनिट की खपत दिखाई गई थी।
पड़ोसी को 68 लाख का बिल
मुरारीलाल तिवारी के पड़ोसी महेंद्र सिंह रघुवंशी, जो जिला पंचायत में कार्यरत हैं, उन्हें भी 68 लाख रुपए का बिल भेजा गया है। उन्होंने भी बिजली कंपनी में शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। तिवारी ने कहा, “यह मीटर पारदर्शिता के नाम पर लोगों को बर्बाद कर रहे हैं। अब 100 रुपए के बिल की जगह लाखों के बिल आ रहे हैं।”
महिला मजदूर पर बोझ
रूबी सैनी नामक महिला, जो मजदूरी करके अपना घर चलाती हैं, को भी 7 लाख 10 हजार 330 रुपए का बिल थमाया गया। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें सिर्फ 150 रुपए तक का बिल आता था। स्मार्ट मीटर लगने के बाद जब उन्होंने शिकायत की, तो विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई और अब तक कोई अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुंचा।
तीन बल्ब, 7 लाख का बिल
टाइल्स मजदूर योगेश अहिरवार ने बताया कि उनके छोटे से घर में केवल तीन बल्ब हैं, फिर भी उन्हें 7 लाख 784 रुपए का बिजली बिल भेजा गया है। विभाग के कर्मचारियों ने पहले मीटर में गड़बड़ी स्वीकार की, लेकिन अब न कोई जांच हो रही है, न ही बिल में सुधार। उनके मोहल्ले में भी कई लोगों को लाखों के बिल मिले हैं।
झुग्गियों को भी लाखों का बिल
आज्ञाराम कॉलोनी की झुग्गी बस्ती में रहने वाली किरण अहिरवार, जो अपने तीन बच्चों के साथ रहती हैं, ने बताया कि उनके घर में सिर्फ दो बल्ब और एक पंखा है, फिर भी उन्हें 7 लाख रुपए से ज्यादा का बिल मिला है। उन्होंने 181 हेल्पलाइन और कलेक्ट्रेट में शिकायत की, लेकिन 18 दिन बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला।
वहीं झुग्गी निवासी सलोनी ने कहा, “हमें बताया गया था कि स्मार्ट मीटर से फायदा होगा, लेकिन यह तो हमें कंगाल कर देगा।”
एक और झुग्गीवासी बृजेश सैनी ने बताया कि उनके घर में एक पंखा और कूलर चलता है, लेकिन मीटर हर दिन 2000 यूनिट की खपत दिखा रहा है, जो हकीकत से कोसों दूर है।
अफसरों के पास जवाब नहीं
बिजली वितरण कंपनी के डीई अरविंद वर्मा का कहना है कि लगभग 15 उपभोक्ताओं के बिलों में गड़बड़ी सामने आई है। यह समस्या सॉफ्टवेयर की तकनीकी खामी से हुई है और उन्हें ठीक किया जा रहा है।
जब पूछा गया कि उपभोक्ताओं की सहमति लिए बिना स्मार्ट मीटर क्यों लगाए गए, तो उन्होंने कहा, “स्मार्ट मीटर कंपनी की प्रॉपर्टी हैं, इन्हें लगाने के लिए उपभोक्ता की सहमति जरूरी नहीं है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह योजना केंद्र सरकार के निर्देशानुसार देशभर में लागू की जा रही है।
107 मीटरों में गड़बड़ी
जोन-2 के अधिकारी शरद महोबिया ने बताया कि विदिशा के इस ज़ोन में अब तक करीब 7,000 स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, जिनमें 107 उपभोक्ताओं के बिलों में गड़बड़ी पाई गई है। यह कार्य बिजली कंपनी ने एक निजी कंपनी को सौंपा था, जिसके कर्मचारियों ने मीटर लगाने और रीडिंग दर्ज करने में लापरवाही बरती। अब इन बिलों को जल्द ठीक करने का दावा किया जा रहा है।