वरूण गॉधी और मेनका गॉधी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर ! नयी कमेटी घोषित !

लखनऊ. सुल्तानपुर से भाजपा सांसद वरुण गांधी को भारतीय जनता पार्टी की यूपी प्रदेश कार्यकारिणी की सूची से बाहर कर दिया गया है। कार्यकारिणी की सूची में वरुण गांधी का नाम नहीं है। जबकि यूपी के ज्यादातर बीजेपी सांसदों का नाम इसमें मौजूद है।

बता दें कि वरुण गांधी के समर्थकों ने कुछ दिनों पहले उन्हें यूपी में बीजेपी का सीएम चेहरा बनाए जाने के लिए प्रदर्शन किया था, जिसे लेकर बीजेपी आलाकमान में नाराजगी बताई जा रही थी। ये वे पांच कारण है जिनकी वजह से वरुण गांधी में गिरी है गाज वरुण गांधी के कारण मुश्किलों में पड़ी थी भाजपा

35 वर्षीय वरुण गांधी सुल्तानपुर से लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने एक मैगज़ीन में फांसी की सज़ा का विरोध करते हुए तीखा लेख लिखा। यानी वो अपनी ही पार्टी की आधिकारिक पोजीशन के खिलाफ गए। चाहे वरुण गांधी ने याक़ूब मेमन का अपने लेख में ज़िक्र नहीं किया लेकिन लेख के टाइमिंग को देखते हुए बात स्पष्ट है। याक़ूब मेमन को फांसी देने पर भाजपा का आधिकारिक स्टैंड सामने रखते हुए पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम चरमपंथ से लड़ रहे हैं लेकिन वो (यानी कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां) हमसे लड़ रहे हैं।”

जून 2015 में इलाहाबाद में बीजेपी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक हुई थी। इस मौके पर शहर में वरुण गांधी के पोस्टर और होर्डिंग बड़ी संख्या में लगे हुए थे। इन पोस्टर्स और होर्डिंग्स में वरुण गांधी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में दिखाया गया था जिसे लेकर बीजेपी आलाकमान ने नाराजगी जताई थी।

सूत्रों की मानें तो यह खबर भी चर्चा में थी कि गांधी परिवार का दूसरा हिस्सा मेनका गांधी और वरुण गांधी भाजपा में अपनी स्थिति से नाखुश हैं और वो जल्द ही पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने की सोच रहे थे।

साल 2009 के चुनाव में दिया गया उनका भाषण में उन्होंने बिना हिचके मुसलमानों के खिलाफ जहरीले शब्दबाण चलाए थे।
उनके ऊपर समुदायों के बीच नफरत और हिंसा उकसाने का आरोप लगा। फिर वो गिरफ़्तार हुए लेकिन बाद में वो सभी आरोपों से बरी हो गए।

साल 2009 का लोकसभा चुनाव उन्होंने अपनी मां मेनका गांधी के परंपरागत संसदीय क्षेत्र पीलीभीत से लड़ा और जीते।
लेकिन उनके भाषणों से भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ क्योंकि उसके बाद अल्पसंख्यकों ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट दिया। उस साल संसदीय चुनाव में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश के रुहेलखंड इलाक़े में भारी जीत मिली थी।

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