थाने का विंडो AC ही चुरा ले गए दारोगा जी.. CCTV से खुली पोल, लोगों ने कहा अब इनकी रिपोर्ट कहां होगी ?

उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर चर्चा में है। वाराणसी के सारनाथ क्षेत्र स्थित आशापुर पुलिस चौकी से विंडो एसी चोरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह हरकत किसी आम चोर ने नहीं, बल्कि खुद चौकी के पूर्व प्रभारी दरोगा अरविंद यादव ने की है। मामले के सामने आते ही वरुणा जोन के डीसीपी प्रमोद कुमार ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
दरोगा ने तैनाती के बाद एसी उखाड़ कर ले जाने की दी दलील
आशापुर चौकी में पूर्व में तैनात रहे दरोगा अरविंद यादव अब आजमगढ़ स्थानांतरित हो चुके हैं। पुलिस के अनुसार, जब उनसे एसी उखाड़े जाने पर बात की गई, तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि एसी उन्होंने ही हटाया है। उनका दावा है कि उन्होंने अपनी पूर्व तैनाती के दौरान यह विंडो एसी अपने खर्चे पर लगवाया था और इसलिए अब उसे निकाल कर साथ ले गए।
चौकीकर्मियों ने बताई सच्चाई, जन सहयोग से लगी थी एसी
चौकी पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों का कहना है कि करीब डेढ़ साल पहले यह विंडो एसी जन सहयोग से चौकी में लगाया गया था, जिससे गर्मी के समय पुलिसकर्मियों के साथ-साथ फरियादियों को भी राहत मिलती थी। रविवार सुबह स्थानीय लोगों ने देखा कि सुबह 5 से 6 बजे के बीच एक वाहन से आए तीन लोग खिड़की से एसी निकाल कर चले गए।
सीसीटीवी फुटेज में खुला राज, दरोगा की हुई पहचान
स्थानीय लोगों की सूचना पर जब सीसीटीवी फुटेज खंगाला गया, तो सच्चाई सामने आई। वीडियो में साफ दिखाई दिया कि खुद दरोगा अरविंद यादव एसी को निकलवाते हुए नजर आ रहे हैं। इसके बाद मामला डीसीपी तक पहुंचा और डीसीपी प्रमोद कुमार ने तत्काल जांच बैठा दी है।
बिल मांगा गया, न देने पर दर्ज होगा मुकदमा
डीसीपी वरुणा जोन प्रमोद कुमार ने बताया कि दरोगा अरविंद यादव से खरीद संबंधी बिल मांगा गया है। अगर वह बिल प्रस्तुत करने में असमर्थ रहते हैं, तो उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाएगी और मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि एसी वास्तव में उनकी व्यक्तिगत संपत्ति थी या सरकारी अथवा जन सहयोग से प्राप्त।
पहले भी विवादों में रहे हैं दरोगा अरविंद यादव
यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें दरोगा अरविंद यादव का नाम विवादों में आया हो। सारनाथ थाने में तैनाती के दौरान उन पर एल्यूमीनियम लदे एक मालवाहक वाहन के मालिक से जबरन वसूली का आरोप लगा था। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद तत्कालीन डीसीपी ने उन्हें निलंबित भी कर दिया था।