मैनपुरी से ये पूर्व सांसद लड़ सकते है चुनाव, पहले भी दी थी दावेदारी

मुलायम सिंह के बड़े भाई के पोते हैं और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. हालांकि, अभी तक कुछ फाइनल नहीं हुआ है लेकिन सूत्रों के मुताबिक, तेज

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद मैनपुरी (Mainpuri) लोकसभा सीट रिक्त हो गई है. यहां पर आने वाले समय में उपचुनाव कराए जाने हैं. ऐसे में सपा एक मजबूत दावेदार की तलाश में है ताकि वह अपनी सीट बचा सके. वहीं सूत्रों का कहना है कि सपा उपचुनाव में तेज प्रताप सिंह यादव (Tej Pratap Singh Yadav) को मैदान में उतार सकती है. तेज प्रताप पहले भी मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं. तेज प्रताप, मुलायम सिंह के बड़े भाई के पोते हैं और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. हालांकि, अभी तक कुछ फाइनल नहीं हुआ है लेकिन सूत्रों के मुताबिक, तेज प्रताप सिंह यादव के नाम की चर्चा है.आजमगढ़ हारने के बाद भी ‘परिवार’ पर ही भरोसा जताएगी सपा?

मुलायम सिंह यादव का पिछले महीने लंबी बीमारी के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था. उनके निधन के बाद सपा की नजर इस सीट को बचाने पर टिकी हुई है. जबकि दूसरी तरफ बीजेपी सपा का गढ़ रहे मैनपुरी पर जीत दर्ज करना चाहती है. अगर इस सीट पर सपा परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार बनाया गया तो फिर बीजेपी को भी किसी कद्दावर नेता को ही उतारना पड़ सकता है. हालांकि आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने सपा परिवार के ही धर्मेंद्र यादव को पटखनी दी थी और दिनेश लाल यादव निरुहुआ सांसद निर्वाचित हुए है. वहीं सपा के एक और गढ़ रामपुर में भी बीजेपी सेंध मार चुकी है. इन दोनों ही सीट पर जीत से उत्साहित बीजेपी मैनपुरी को भी अपने पाले में करना चाहेगी.

मुलायम सिंह ने मैनपुरी से 1998 में पहली बार लड़ा था चुनाव

मुलायम सिंह ने मैनपुरी सीट से सबसे पहले चुनाव 1998 में लड़ा था और जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. उस दौरान वह देश के रक्षा मंत्री भी बनाए गए थे. 2004 में एकबार फिर इसी सीट से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे. 2009-2014 के बीच भी उन्होंने इसी सीट का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि उन्होंने 2014 में यह सीट छोड़ दी और पोते तेज प्रताप सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया गया और वह विजयी रहे. मुलायम सिंह पिछले लोकसभा चुनाव में 2019 में मैनपुरी से एकबार फिर चुनाव लड़ा और बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को 94 हजार से अधिक वोटों से हराया था.

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