वाह ! कानपुर में अब भिड़े 2 CMO: एक कोर्ट से स्टे लेकर आए, बोले – ‘कुर्सी मेरी है’.. दूसरे ने कहा – “चलो कुर्सी से उठो”

कानपुर के काशीराम अस्पताल स्थित सीएमओ कार्यालय में बुधवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब निलंबित सीएमओ डॉ. हरी दत्त नेमी कोर्ट का स्टे ऑर्डर लेकर ऑफिस पहुंच गए और कुर्सी पर बैठ गए। उन्होंने रजिस्टर मंगवाकर अपनी अटेंडेंस भी दर्ज की। वर्तमान सीएमओ डॉ. उदयनाथ भी सूचना मिलते ही आधे घंटे में मौके पर पहुंच गए और दोनों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। मामला इस कदर बिगड़ गया कि पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा।
स्टे ऑर्डर लेकर पहुंचे पूर्व सीएमओ, बोले- मैं ही असली पदाधिकारी
डॉ. हरी दत्त नेमी ने कहा कि उनका निलंबन आदेश हाई कोर्ट द्वारा रोक दिया गया है और वे कोर्ट के निर्देश पर ही कार्यभार संभालने आए हैं। उन्होंने बताया कि चूंकि निलंबन कानपुर से ही हुआ था, इसलिए वे यहीं लौटे हैं। उनका कहना था कि शासन से उन्हें यहां पर भेजा गया है और कोर्ट का स्टे उनके पद पर पुनः बहाली को वैध बनाता है।
वर्तमान सीएमओ का विरोध, बोले- मुझे हटाने का कोई आदेश नहीं मिला
वर्तमान सीएमओ डॉ. उदयनाथ ने डॉ. नेमी की इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और कहा कि उन्हें अब तक शासन से हटाने संबंधी कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, “कोर्ट का आदेश सम्मानजनक है, पर इसे शासन के उचित चैनल से लागू कराना होता है। मेरे ट्रांसफर की कोई सूचना नहीं आई है, इसलिए मैं अब भी कानपुर का सीएमओ हूं।”
हंगामे के बीच पुलिस और प्रशासन पहुंचा, फोर्स की तैनाती
करीब 9 बजे हुए इस हंगामे के बाद लोगों ने पुलिस को फोन कर दिया। चकेरी थाना पुलिस तुरंत पहुंची और स्थिति को काबू में लेने के लिए फोर्स की तैनाती कर दी गई। इसके बाद SDM ऋतु और ACP लाइन आशुतोष सिंह भी मौके पर पहुंचे और दोनों अधिकारियों से बात कर मामले को शांत करने की कोशिश की।
कोर्ट ने निलंबन पर लगाई रोक, शासन से चार हफ्ते में मांगा जवाब
इलाहाबाद हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकलपीठ ने 8 जुलाई को डॉ. हरी दत्त नेमी के निलंबन पर रोक लगाई और राज्य सरकार तथा अन्य पक्षों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने पाया कि निलंबन आदेश बिना विभागीय जांच के जारी किया गया था, जो कि उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन व अपील) नियमावली के विपरीत है। अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।
विवाद की जड़: फरवरी से बढ़ा तनाव, डीएम-सीएमओ के रिश्तों में आई दरार
इस पूरे विवाद की शुरुआत 5 फरवरी 2025 को हुई थी, जब डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान 34 अधिकारी-कर्मचारी अनुपस्थित मिले, जिसके चलते सभी का एक दिन का वेतन रोक दिया गया। इस कार्रवाई के बाद सीएमओ और डीएम के रिश्तों में कड़वाहट आ गई।
भ्रष्टाचार के आरोप और सियासी समर्थन का दावा, सीएमओ ने खुद को बताया ‘षड्यंत्र का शिकार’
डॉ. नेमी ने आरोप लगाया कि उन पर भ्रष्ट फर्म ‘जेएम फार्मा’ का बिल पास करने का दबाव बनाया गया था, जबकि फर्म सीबीआई चार्जशीटेड है। उन्होंने फर्म की गड़बड़ियों पर 125 पन्नों की रिपोर्ट अधिकारियों को भेजी थी। उनका कहना है कि इसके बाद उनके खिलाफ साजिशें शुरू हो गईं।
बीजेपी नेताओं में मतभेद, एक ने समर्थन किया तो दूसरे ने विरोध
सीएमओ डॉ. नेमी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मिलकर अपना पक्ष रखा और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक तक मामला पहुंचाया गया। दो बीजेपी विधायक और एक एमएलसी ने भी उनके समर्थन में पत्र भेजे। वहीं बिठूर से विधायक अभिजीत सिंह और विधायक महेश त्रिवेदी ने डॉ. नेमी को भ्रष्टाचार में लिप्त बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।
ऑडियो वायरल और मीटिंग से बाहर करने का विवाद
सीएमओ के ड्राइवर का डीएम को लेकर ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें डीएम को भ्रष्ट बताया गया। फिर खुद सीएमओ का ऑडियो भी वायरल हुआ जिसमें उन्होंने डीएम को लेकर आपत्तिजनक बातें कहीं। इस पर डीएम ने उन्हें सीएम डैशबोर्ड की समीक्षा बैठक से बाहर कर दिया और ऑडियो की जांच व एफआईआर की बात कही।
कोर्ट, प्रशासन और सियासत के बीच उलझा सीएमओ पद
कानपुर का सीएमओ पद अब न्यायालय, शासन और राजनीतिक हस्तक्षेप के त्रिकोण में उलझा दिख रहा है। जहां एक तरफ कोर्ट ने डॉ. नेमी को राहत दी है, वहीं शासन से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिलने के कारण प्रशासनिक टकराव की स्थिति बन गई है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि किसे कानपुर सीएमओ की कुर्सी पर अंतिम मुहर मिलती है।