हाथरस केस में यूपी पुलिस का सबसे बड़ा धोखा, हाथरस मामले पर सीएम से पहले पीएम का एक्शन

विपक्ष कहता है उत्तर प्रदेश हत्या प्रदेश बन चुका है, अपराधिक प्रदेश बन चुका है। हालांकि उत्तर प्रदेश में ऐसे मामले हो रहे हैं जो इन बातों को ठीक भी बताता है। पिछले दिनों हाथरस की एक युवती के साथ दुष्कर्म किया गया और उसके बाद उसकी हालत इतनी बुरी कर दी गई कि उस लड़की ने दम ही तोड़ दिया। पहले ये मामला हाथरस में था फिर पीड़िता को अलीगढ़ भेजा गया और फिर अलीगढ़ से दिल्ली रेफर कर दिया गया लेकिन दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता ने दम तोड़ दिया । हालांकि यह घटना सुर्खियों में 14 दिन बाद आई है जब पीड़िता की मृत्यु हो गई, इससे पहले तो मानो सभी सो रहे थे। इस मामले के सामने आने के बाद विपक्ष लगातार न्याय की मांग कर रहा है।

इसके बाद तो इस मामले ने तूल पकड़ लिया और आज यह मामला देश का सबसे बड़ा मामला बन गया है। जिस तरीके से अपराध उत्तर प्रदेश में बढ़ रहा है इससे योगी सरकार की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं और यह दिखाता है कि उत्तर प्रदेश का प्रशासन कितना कमजोर हो चुका है। दूसरी और जब यह मामला बढ़ता चला गया तो इस मामले को दबाने की भी कोशिश की गई और कुछ ऐसा किया गया जो उत्तर प्रदेश पुलिस को शर्मसार कर देगा।

कहा जा रहा है कि जब safdarjung अस्पताल से पीड़िता का शव हाथरस पहुंचा तो यूपी पुलिस ने पीड़िता का अंतिम संस्कार बिना परिवार के ही कर दिया… यह तो सबूत मिटाने वाला ही काम किया गया है जो की उत्तर प्रदेश पुलिस का बहुत बड़ा धोखा है… जो परिवार न्याय की मांग कर रहा है उस परिवार के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस का यह बड़ा धोखा है…

यही नहीं इस मामले पर तो देश के प्रधानमंत्री प्रदेश के मुखिया को फोन करते हैं और उनसे इस पूरे मामले को लेकर बातचीत करते हैं, जिसके बाद आनन-फानन में सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ एसआईटी का गठन कर देते हैं, उस एसआईटी का गठन करते हैं जिसकी रिपोर्ट कब आएगी यह पता नहीं क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि जब जब इस तरीके से एसआईटी का गठन किया गया है तब तब ऐसे ज्यादातर मामलों पर ठोस कार्रवाई हुई ही नहीं है…दूसरी और प्रदेश के मुखिया से पहले एक्शन में देश के प्रधानमंत्री दिखते हैं, जिन्हें आगे बढ़कर पहले फैसला लेना चाहिए था वह सोए हुए थे और दूसरी और प्रधानमंत्री को उन्हें जगाने के लिए आगे आना पड़ा… इससे साफ जाहिर हो रहा है कि प्रदेश के मुखिया से यह मामला संभला ही नहीं…और ये वही प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में महिलाओं का मुद्दा जोरों शोरों से उठाया था, वे तब भी जानते थे कि प्रदेश में क्या हालात हैं लेकिन यह हालात अब भी वैसे ही हैं, तो क्या यह कहना सही नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश के जो भाजपा के नए मुख्यमंत्री बने वह भी महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में असफल है ?

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन सदस्यों की एसआईटी टीम बनाई है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालने के लिए खुद एक कदम आगे बढ़ाया है तो क्या अब कानून व्यवस्था प्रधानमंत्री संभालेंगे। बता दें कि यह वही प्रधानमंत्री हैं जो कि 2017 विधानसभा चुनाव से पहले आकर उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर भाषण दिया करते थे आइए आपको वह भाषण सुनाते हैं

दूसरी ओर विपक्ष भी लगातार योगी सरकार पर निशाना साध रहा है, अखिलेश यादव ने इस मामले पर ट्वीट कर योगी सरकार पर एक बड़ा निशाना साधा है उन्होंने कहा है की हाथरस की बेटी बलात्कार-हत्याकांड’ में शासन के दबाव में, परिवार की अनुमति बिना, रात्रि में पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार करवाना, संस्कारों के विरुद्ध है. ये सबूतों को मिटाने का घोर निंदनीय कृत्य है. भाजपा सरकार ने ऐसा करके पाप भी किया है और अपराध भी.

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