न्याय की कीमत सिर्फ 6 समोसे ? पुलिस ने दुष्कर्म केस को किया बंद.. कोर्ट ने फिर से खोला, जानिए UP का ये मामला

उत्तर प्रदेश के एटा जिले से सामने आया यह मामला न सिर्फ पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि पीड़ित परिवार के इंसाफ की उम्मीद को भी झकझोरता है। एक 14 वर्षीय किशोरी से दुष्कर्म के गंभीर मामले में पुलिस ने केवल छह समोसे की रिश्वत लेकर केस की विवेचना त्रुटिपूर्ण तरीके से निपटा दी। अब अदालत ने इस एफआर को निरस्त कर दिया है।

मामला जलेसर थाने का

यह मामला एटा जिले के जलेसर थाना क्षेत्र का है, जहां 1 अप्रैल 2019 को 14 वर्षीय किशोरी स्कूल से लौटते समय गांव के ही वीरेश ने उसे पकड़ लिया और पास के गेहूं के खेत में ले जाकर अश्लील हरकतें कीं। घटना के दौरान दो लोग वहां पहुंचे तो आरोपी जातिसूचक गालियां और जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गया।

रिपोर्ट दर्ज कराने में भी किया गया टालमटोल

किशोरी के पिता ने जब थाने में रिपोर्ट दर्ज करवानी चाही, तो पुलिस ने कोई मदद नहीं की। मजबूरन उन्हें अदालत का रुख करना पड़ा। कोर्ट के आदेश पर ही इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई।

एफआर में लिखा- ‘उधारी के समोसे न देने पर लगाया झूठा आरोप’

इस गंभीर मामले की विवेचना के बाद विवेचक ने 30 दिसंबर 2024 को अदालत में एफआर दाखिल कर दी। एफआर में लिखा गया कि किशोरी ने आरोपी से समोसे उधार मांगे थे, और न मिलने पर द्वेषवश झूठा केस दर्ज कराया गया है।

छह समोसे की रिश्वत और गवाहों के बयान भी नहीं लिए गए

पीड़िता के पिता ने एफआर पर आपत्ति जताते हुए 27 जून 2025 को अदालत में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि विवेचक ने मौके पर मौजूद चश्मदीद गवाहों के बयान तक दर्ज नहीं किए। यहां तक कि आरोपी, जिसकी समोसे की दुकान है, से विवेचक ने छह समोसे लेकर केस की जांच अधूरी और पक्षपातपूर्ण कर दी।

कोर्ट ने माना- जांच गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण

विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट नरेंद्र पाल राणा ने मामले की सुनवाई के बाद एफआर को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने माना कि मामले की विवेचना त्रुटिपूर्ण है और गवाहों के बयान, पीड़िता के बयान तथा घटना की प्रकृति को नजरअंदाज किया गया है।

पहले भी हुआ था आदेश, फिर भी पुलिस ने दोबारा लगा दी एफआर

यह कोई पहली बार नहीं था जब जांच में लापरवाही हुई हो। 31 अगस्त 2024 को अदालत ने पुनः विवेचना का आदेश दिया था, लेकिन दूसरी बार भी पुलिस ने उसी तरह से एफआर लगाकर मामले को खत्म करने की कोशिश की।

कोर्ट का निर्देश

कोर्ट ने एफआर खारिज करने के साथ ही निर्देश दिया कि इस मामले को अब परिवाद (प्राइवेट कंप्लेंट) के रूप में दर्ज किया जाए, ताकि उचित न्याय प्रक्रिया आगे बढ़ सके और पीड़िता को इंसाफ मिल सके।

 

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