राजपथ पर दिखा विभिन्न लोक कलाओं तथा संस्कृतियों का अनूठा संगम

नई दिल्ली, बहत्तरवें गणतंत्र दिवस के मौके पर मंगलवार को राजपथ पर आयोजित समारोह में विभिन्न लोक कलाओं तथा संस्कृतियों का अनूठा संगम देखने को मिला।

इस बार राजपथ पर विभिन्न राज्यों, विभागों तथा मंत्रालयों की 32 झांकियां निकलीं, जिसमें देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर की छटा तथा लोक कलाओं का अनूठा संगम देखने को मिला।


बहत्तरवें गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार नवगठित केंद्र शासित प्रदेश की झांकी निकली, जिसमें लद्दाख के विभिन्न उत्सवों तथा संस्कृति को दर्शाया गया। इस दौरान दर्शकों ने तालियां बजाकर कलाकारों का हौसला बढ़ाया।

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वहीं गुजरात की झांकी में उत्कृष्ट शिल्प, स्थापत्य, संस्कृति तथा संगीत को समेट हुए विश्व प्रसिद्ध मोढेरा के सूर्य मंदिर को दिखाया है, जिसका निर्माण 1000 साल पूर्व चालुक्य वंश के राजा भीम प्रथम ने करवाया था।

गुजरात की झांकी के बाद असम की झांकी निकली, जिसमें राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले चाय उद्योग को दर्शाया गया।

तमिलनाडु की झांकी में पल्लव राजवंश के विशालकाय स्मारकों को दर्शाया गया, जिसकी दर्शकों ने काफी सराहना की।

वहीं महाराष्ट्र की झांकी में अंधविश्वास, कर्मकांड तथा महिलाओं के प्रति भेदभाव पर कुठाराधात करती मानवतावादी विचारों का प्रचार-प्रसार करने वाली संतों की परंपरा दर्शायी। इस दौरान दर्शकों ने तालियां बजाकर कलाकारों का अभिवादन किया।

जनजातीय क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले लोक वाद्य यंत्रों को उनके सांस्कृतिक परिवेश के साथ प्रदर्शित करती छत्तीसगढ़ की झांकी जब राजपथ पर गुजरी , तो दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकारों का स्वागत किया।

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