वैश्विक महामारी काल में योग है -संजीवनी

वर्तमान समय में जहां हम व्यस्ततम दिनचर्या जीते हुए अपने स्वास्थ्य के लिए सोचना ही भूल जाते हैं| और इसी का परिणाम है कि स्वस्थ समझते हुए हम स्वयं को कोई महत्व नहीं देते है जिससे अनियमित जीवन शैली के परिणाम स्वरुप विभिन्न बीमारियां धीरे-धीरे हमारे शरीर में घर कर जाती हैं और हम उसके निवारण करने के प्रयास के लिए विभिन्न चिकित्सकीय उपचार ढूढते हैं |ईश्वर की दी हुई इस अमूल्य शरीर पर भोजन, पानी के साथ नित्य की दिनचर्या में योगाभ्यास शामिल कर लिया जाए तो हमें स्वस्थ जीवनशैली जीने से कोई रोक नहीं सकता |इस वैश्विक महामारी काल ने हमें यह सीख दी है कि हम अपने स्वास्थ्य के लिए विचार करें |योग को शामिल कर एक संजीवनी का सेवन करते रहे |इसके साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में 21 जून को केंद्र सरकार द्वारा योगदिवस के रुप मे प्रमाणित कर दिया गया है कि सिर्फ मानसिक ,शारीरिक ,आर्थिक बल को मजबूती देने के लिए योग अति आवश्यक है |क्योंकि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है जो हमारी कार्यशैली को समायोजित करने में सहयोग करती है |योग के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए |नित्य किए जाने वाले योग में जिन्हें आसानी से करके अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं| इनमें तनाव दूर करने के लिए शशांक आसन ,गर्मी से बचने के लिए शीतली प्राणायाम ,फेफड़ों को मजबूत करने के लिए अनुलोम-विलोम शलभासन ,उत्तानमंडूकासन, नेत्र शक्ति विकास के लिए भ्रामरी प्राणायाम इत्यादि उपयोगी सिद्ध होते हैं इसके साथ-साथ बजॖासन पवनमुक्तासन भुजंगासन आदि भी महत्वपूर्ण है |इस वैश्विक महामारी काल मे इन सभी आसनो को कोविड एवं पोस्ट कोविड मरीज को अवश्यक गम्भीरता से दिनचर्या मे शामिल करना चाहिए |
डॉ०सन्तोष कुमार आयुष चिकित्साधिकारी योग एक्सपर्ट जिला चिकित्सालय गोरखपुर |

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