महादेव के पौराणिक भंवरनाथ मंदिर पर भौंरे के आक्रमण व गाय के थन से दूध निकलने की है दंतकथा। शादी का मिलता है प्रमाणपत्र

देवाधिदेव महादेव भगवान शंकर के वैसे तो पूरे देश में हजारों मंदिर हैं लेकिन आजमगढ़ का भवर नाथ मंदिर एक अलग ही महत्व रखता है। आजमगढ़ शहर से सटे इस भव्य मंदिर पर शिवरात्रि पर्व व सावन मास में भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर के बारे में जो दंत कथाएं हैं वह लोगों को न केवल रोमांचित करती है बल्कि आस्था के सागर में डूबने को मजबूर कर देती है। सावन के सोमवार को तो मानों मेले से दृश्य होता है।

भगवान भोलेनाथ को कहा जाता है कि श्रावण मास सबसे प्रिय है। इसलिए आजमगढ़ के पौराणिक भंवरनाथ मंदिर में भक्तजनों खास कर महिलाओं का जलाभिषेक के लिए तांता लगा रहता है। लोग घंटों जलाभिषेक के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं लेकिन तब भी थकते नहीं हैं। इस मंदिर परिसर में प्रतिदिन मांगलिक कार्य होते हैं। अब तक यहां हजारों लोगों के विवाह संपन्न हो चुके हैं। पूरे वर्ष प्रत्येक सोमवार को भगवान भोलेनाथ का भव्य श्रृंगार किया जाता है। जिसके लिए फूल माला व कारीगर वाराणसी से मंगाए व बुलाए जाते हैं। मान्यता है कि मंदिर के स्थान पर आसपास के क्षेत्र में सैकड़ों साल पहले घना जंगल था। ग्वाले अपने मवेशियों को चराते थे। सैकड़ों वर्ष पूर्व ग्वालों को आभास हुआ कि इस विशेष स्थान पर जब गाय चरके वापस घर लौटते हैं तो उनके थन से दूध गायब हो जाते हैं जब इसकी खोजबीन की गई तो पता चला कि गाय झाड़ी के इस विशेष स्थान पर जब पहुंचती है तो उसके थन से अपने आप दूध निकलने लगता है। इसके बाद झाड़ी की साफ सफाई की गई और मिट्टी की खुदाई के बाद शिवलिंग अवतरित हुआ। एक बार इस शिवलिंग को हटाने का कार्य जैसे ही प्रारम्भ किया जमीन के अंदर से हजारों की संख्या में भौंरे निकले।

जिससे लोग भाग खड़े हुए। इसके बाद किसी तरह जब दूसरी बार फिर खुदाई शुरू हुई तो हजारों की संख्या में भौंरे के साथ ही सांप-बिच्छु निकलने लगे और लोगों को काटने लगे। आक्रांता भाग खड़े हुए। इसके उपरान्त इसी स्थल पर शिवलिंग को लेकर लोगों ने इसे भगवान की इच्छा समझा और लोग शिवलिंग की पूजा शुरू कर दिया। भगवान शिव के अवतरित होने पर लोगों ने अपनी मनोकामना भी यहां पर रखनी शुरू कर दी और मनोकामना जब पूरे होने लगे तो दूर-दूर तक इस देव स्थान की ख्याति पहुंचने लगी। धीरे-धीरे हजारों की संख्या में लोग यहां पूजा अर्चन और मनौती मानने के लिये उमड़ने लगे। इसके बाद यहां पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया जो कि जनपद के साथ ही आसपास के जिलों के लोगों के लिये आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां पर लोग पुत्र की कामना के साथ आते हैं तो युवा अच्छी नौकरी तथा अच्छे जीवन साथी की कामना के साथ पूजन अर्चन करते हैं। यहां पर होने वाली शादियों के प्रमाण के तौर पर यहां पर पुजारी के द्वारा बकायदा लिखा पढ़ी भी की जाती है। लोगों की मान्यता है कि यहां पर विवाह के दौरान भगवान शिव तथा अन्य देवों का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन सफल रहता है।

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