यूपी के सुल्तानपुर में मंदिर तोड़ बनवा रहे थे शॉपिंग कॉम्प्लेक्स-हाईकोर्ट ने लताड़ा

यूपी सुल्तानपुर में करीब सौ साल पुराने हनुमान मंदिर को तोड़कर उसे शॉपिंग कांप्लेक्स में तब्दील किए जाने के सनसनीखेज मामले ने एक बार फिर योगी सरकार की फजीहत करा दी है। प्रकरण में भ्रष्ट नौकरशाही व सत्ताधारी भाजपा के नेताओं की भूमाफियाओं के साथ संलिप्तता उजागर होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के जरिए इस हैरतअंगेज मामले पर संज्ञान लेकर डीएम को सख्त कदम उठाकर तत्काल फौरी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। उधर प्रकरण पर सत्ताधारी भाजपा व हिंदूवादी संगठनों के ही कुछ नेताओं की भूमिका को लेकर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। उच्च न्यायालय के सख्त रुख से अब अफसर सकते में हैं। मामले में लीपापोती शुरू हो गई है।

अयोध्या से महज ६० किलोमीटर के फासले पर स्थित भगवान श्रीराम के पुत्र कुश की नगरी सुल्तानपुर में कलेक्ट्रेट के सामने नजूल भूखंड पर सौ साल पुराना मौनी मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है। कोरोना काल में इस बेशकीमती भूखंड पर भूमाफियाओं की नजर लग गई। हिंदूवादी संगठन व सत्तासीन भाजपाइयों की शह पर इसे भूमाफियाओं ने मंदिर परिसर को जबरन खाली करवाकर तुड़वाना शुरू कर दिया। आलीशान कॉम्प्लेक्स निर्माण का खाका खींचा जाने लगा। शिकायत के बावजूद अफसर मूकदर्शक बने रहे।

सुपरिचित प्रार्थना ‘हे प्रभो आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये…’ के रचयिता प्रख्यात कवि स्व. रामनरेश त्रिपाठी के पुत्र जयंत त्रिपाठी व कई अन्य शहरवासियों की शिकायत के बावजूद डीएम-एडीएम-एसडीएम-शहर कोतवाल ने सिर्फ कागजी खानापूरी कर दी।

अलबत्ता लिखा-पढ़ी में एडीएम उमाकांत त्रिपाठी ने माना कि ‘भूमाफिया’ गलत कर रहे हैं और भूमाफियाओं के साथ एसडीएम सदर रामजीलाल की भी संलिप्तता नजर आ रही है इसके बावजूद मंदिर परिसर को ढहाया जाना जारी रखकर भूमाफिया उस जगह कॉम्प्लेक्स का निर्माण भी कराने लगे। मामले में अफसर ऑफ द रिकॉर्ड एक बड़े भाजपा नेता की संलिप्तता की बात कहकर बेबसी जताते रहे। अंततः आरटीआई एक्टिविस्ट रवींद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने सामाजिक कार्यकर्ता कौशलेंद्र सिंह के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में जनहित याचिका दायर की, जिसे बुधवार को जस्टिस द्वय ऋतुराज अवस्थी व दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने संज्ञान लिया। याचीगण के वकील वीरेंद्र मिश्र ने सुनवाई के दौरान इस संवेदनशील मामले में तथ्यों के साथ लालफीताशाही व अफसरशाही की हकीकत को अदालत में पेश किया। जिस पर न्यायाधीश द्वय ने एसडीएम सदर द्वारा डीएम के आदेशों की हुक्मउदूली व भूमाफियाओं के साथ संलिप्तता पर हैरत जताई। तत्काल निर्माण व ध्वस्तीकरण रुकवाकर प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। उधर इस आदेश के बाद शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया है। डीएम रवीश गुप्ता ने हाईकोर्ट के आदेश का तत्काल क्रियान्वयन कराने के लिए मातहतों को सजग किया। जो अधिकारी अभी तक भूमाफियाओं को लाभ दिलाने के लिए मौके पर जाने में गुरेज करते थे, वे मिनटों में ही अमले के साथ तोड़े गए परिसर में आ डटे और फोटो खिंचवाते देखे गए।

Related Articles

Back to top button