राष्ट्रीय खेल है हॉकी पर 80 प्रतिशत प्रायोजक क्रिकेट में करते हैं निवेश, लेकिन टाटा समूह कर रही है ये पहल

Tokyo Olympics 2020 हाल ही में टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम ने 41 साल बाद कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। वह भारतीय हॉकी के लिए ऐतिहासिक क्षण था। लेकिन राष्ट्रीय खेल होने के नाते इस खेल को उतना सम्मान नहीं मिला जिसका वह हकदार है।

 हॉकी भले ही हमारा राष्ट्रीय खेल हो लेकिन देश-विदेश के प्रायोजक 100 में 80 प्रतिशत राशि क्रिकेट पर ही निवेश करते हैं और शेष 20 प्रतिशत दूसरे खेलों को मिलता है। लेकिन टोक्यो ऑलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने जो प्रदर्शन किया है उससे प्रायोजक न सिर्फ आकर्षित होंगे बल्कि इसे हॉकी का पुर्नरुथान माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि भारत ही नहीं विदेशों से भी भारतीय हॉकी में निवेश बढ़ेगा जिसका फायदा खेल और खिलाड़ियों के विकास पर खर्च होगा। तो आइए जानते हैं कि देश के दिगगज कंपनियां हॉकी जैसे खेल पर इस जीत के बाद क्या सोचते हैं।

आपको बता दें कि वर्ष 1928 से हॉकी ने हमारे देश को कुल 11 पदक दिए हैं। मेजर ध्यानचंद, बलबीर सिंह सीनियर, मोहम्मद शाहिद, धनराज पिल्लै और पीआर. श्रीजेश जैसे कई दिग्गज हमें इस खेल की बदौलत मिले। लेकिन खेल और उसके सितारों का प्रभुत्व समय के साथ फीका पड़ गया। क्योंकि राष्ट्रीय खेल हॉकी के बदले क्रिकेट में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी। मीडिया रिपोर्ट की माने तो भारत में कुल विज्ञापन का 10वां हिस्सा खेलों के आयोजन पर खर्च होता है। इसमें क्रिकेट पर 80 प्रतिशत और बाकी के खेलों को अपने हिस्से का प्राप्त करने के लिए लड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है।

ओडिसा सरकार सहित टाटा समूह कर रही है पहल

देश में ओडिसा सरकार को हॉकी का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है। पूर्वी भारत के इस राज्य को हॉकी का पालना कहा जाता है। राज्य के मुख्यमंत्री नवन पटनायक ने वर्ष 2018 में हॉकी ऐस इंडिया के साथ करार कर पुरूष व महिला हॉकी टीम को प्रायोजित करने के लिए 100 करोड़ रुपये का समझौता किया। इसके अलावा टाटा ट्रस्ट और टाटा स्टील द्वारा ओडिसा में नवल टाटा हॉकी एकेडमी का निर्माण किया गया है ताकि सिर्फ शहरी क्षेत्र ही नहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभा को आवासीय एकेडमी के माध्यम से निखारा जा सके। इस एकेडमी में बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए कई अंतराष्ट्रीय कोच के साथ भी करार किया गया है। टाटा स्टील की ओर से जमशेदपुर में भी नवल टाटा हॉकी एकेडमी संचालित है जहां झारखंड और ओडिसा के कई बच्चे खेल की बारिकियों को सीख रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि इन दो एकेडमियों से ही देश को अगला ओलिंयन खिलाड़ी मिलेगा।

क्रिकेट के कारण हॉकी में प्रायोजकों की रुचि में कमी

मीडिया एजेंसी ओएमडी की चीफ एक्जीक्यूटिव, इंडिया प्रीति मूर्ति का मानना है कि क्रिकेट की तुलना में हॉकी के प्रति विज्ञापनदाताओं की रुचि कम है। हॉकी के दर्शक भी कम हैं। हॉकी की तुलना में एकल व डबल खिलाड़ी वाले बैडमिंटन काफी प्रसिद्ध है और इसकी मुख्य वजह साइना नेहवाल और पीवी सिंधू जैसी खिलाड़ी हैं।

हॉकी टीम ने देश को गौरान्वित किया : एमडी संजीव मेहता

हिंदुस्तान यूनीलीवर के चेयरमैन सह एमडी संजीव ने इंटरनेट साइट पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल में आस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत दर्ज कर सेमी फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया। उनकी इस जीत ने देश को गौरांवित किया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत में हॉकी के नए युग की शुरूआत होगी। मुझे आशा है कि खेल और खिलाड़ियों के लिए बड़े ब्रांड सामने आएंगे।

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