अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा

काबुल की जेल से 5 हजार कैदी छुड़ाए; अफगान सरकार समझौते को राजी, शर्तों को लेकर चल रही है बातचीत

अफगानिस्तान अब पूरी तरह तालिबान के शिकंजे में आ गया है। तालिबानियों के रविवार को काबुल में दाखिल होते ही अफगान सरकार उनसे समझौता करने को तैयार हो गई। अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मीरजकवाल ने कहा कि तालिबान काबुल पर हमला नहीं करने के लिए राजी हो गया है। वो शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का ट्रांसफर चाहते हैं और ये इसी तरह होगा। नागरिक अपनी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रहें। तालिबान ने भी बयान जारी करके कहा है कि वो नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी लेता है।

तालिबान ने काबुल की बगराम जेल के बाद पुल-ए-चरखी जेल को भी तोड़ दिया है और करीब 5 हजार कैदियों को छुड़ा लिया है। पुल-ए-चरखी अफगानिस्तान की सबसे बड़ी जेल है। यहां ज्यादातर तालिबान के लड़ाके बंद थे।

तालिबान ने काबुल में दाखिल होते ही बगराम एयरपोर्ट समेत कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया था। तालिबान का दावा है कि इस समय पूरा अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात के कंट्रोल में है। काबुल में मौजूद एक राजनीतिक कार्यकर्ता जो कि स्थिति पर नजर रख रहे हैं, उनका कहना है कि तालिबान सुरक्षा चौकियों पर कब्जा कर रहा है।

तालिबान ने बताया था कि काबुल में जंग नहीं हो रही है, बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हासिल करने के लिए बातचीत चल रही है। साथ ही कहा है कि काबुल एक बड़ी राजधानी और शहरी इलाका है। तालिबान यहां शांतिपूर्ण तरीके से दाखिल होना चाहता है। वह काबुल के सभी लोगों के जान-माल की सुरक्षा की गारंटी ले रहा है। उसका इरादा किसी से बदला लेने का नहीं है और उन्होंने सभी को माफ कर दिया है। वहीं अफगानिस्तान के सरकारी मीडिया का कहना है कि काबुल के कई इलाकों में गोलीबारी की आवाजें सुनी गई हैं।

तालिबान ने बामियान के गवर्नर कार्यालय पर भी बिना जंग के कब्जा कर लिया। यह इलाका हजारा शिया समुदाय का गढ़ है। तालिबान ने 20 साल पहले बामियान में बुद्ध की प्रतिमाओं को धमाके से उड़ा दिया था।

जलालाबाद पर भी तालिबान का कब्जा
इससे पहले रविवार तड़के तालिबान ने नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद पर भी अपनी हुकूमत कायम कर ली थी। न्यूज एजेंसी फ्रांस प्रेस के मुताबिक जलालाबाद के लोगों ने बताया कि रविवार सुबह जब वे जागे तो देखा कि पूरे शहर में तालिबान के झंडे लहरा रहे थे और यहां कब्जा करने के लिए उन्हें जंग भी नहीं लड़नी पड़ी।

जलालाबाद के गवर्नर जियाउलहक अमरखी अपना ऑफिस तालिबान के लड़ाकों के हवाले करते हुए। जलालाबाद पर कब्जा करने में तालिबान को कोई संघर्ष नहीं करना पड़ा।

तालिबान ने मनी चेंजर्स के साथ बैठक कर उन्हें दिशा-निर्देश जारी किए हैं। तालिबान ने कहा है कि सब अपना काम जारी रखें, किसी को परेशान नहीं किया जाएगा।

अफगान सेना का सबसे मजबूत गढ़ मजार-ए-शरीफ भी तालिबान के पास
तालिबान ने शनिवार को अफगानिस्तान सरकार और सेना के सबसे मजबूत गढ़ मजार-ए-शरीफ पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद ही माना जा रहा था कि अब काबुल को सुरक्षित रखना मुश्किल होगा। तालिबान अफगानिस्तान के 34 में से 21 प्रांतों पर कब्जा कर चुका है।

अफगानिस्तान के हालात का भारत पर क्या असर होगा?
पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि भारत के सामने सबसे प्राथमिक चुनौती अफगानिस्तान में अपने नागरिकों और राहत कर्मियों की हिफाजत करना है। एक बड़ी चुनौती यह भी है कि तालिबान के वर्चस्व के बाद लश्कर और जैश को खुला खेत मिल जाएगा। वे भारतीय हितों को निशाना बनाना शुरू कर देंगे। ताकि बाकी भारतीय वहां से हट जाएं। पाकिस्तान की सेना और ISI की भूमिका वहां बढ़ जाएगी।

इन 5 बिंदुओं पर विचार कर सकता है भारत

अमेरिका और सहयोगी देशों के बीच लामबंदी कर अफगानिस्तान के लिए समर्थन जारी रखने का झंडा बुलंद करे।काबुल की मौजूदा सरकार को समर्थन जारी रखने के फैसले पर कायम रहे। जब तक संभव है, तब तक मानवीय राहत दी जाए।अफगानिस्तान की सेना को सैन्य आपूर्ति की जाए और उसकी हवाई ताकत मजबूत की जाए। तालिबान को इसका खतरा लग रहा है। इसी कारण भारत को धमकियां दी जा रही हैं।तालिबान से संपर्क साधें। ऐसा पर्दे के पीछे हो भी रहा है। चीन-पाकिस्तान विरोधी तालिबान भी अफगानिस्तान में सक्रिय हैं।अंतिम विकल्प आसान है। वह यह कि स्थिति पर सिर्फ निगाह रखी जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि तालिबान उसी इलाके में खुद को सीमित रखे और हमारी सरहदों की ओर रुख न करे। इससे चीन-पाकिस्तान को अफगानी गृहयुद्ध की आंच सीधे झेलनी होगी।

खबरें और भी हैं…

Related Articles

Back to top button