तालिबान का फरमान:आतंकी संगठन ने कहा- टैक्सी ड्राइवर्स किसी हथियारबंद व्यक्ति को न बिठाएं;

तालिबान के बंदूकधारियों पर रोक नहीं

15 अगस्त से अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान ने नांगरहार राज्य के टैक्सी ड्राइवर्स को नया आदेश दिया है। तालिबान ने इन टैक्सी चालकों से कहा- किसी भी हथियारबंद व्यक्ति को टैक्सी में न बिठाएं। खास बात यह है कि तालिबान या उससे जुड़े किसी संगठन पर यह आदेश लागू नहीं होगा, यानी तालिबानी या उनके सहयोगी हथियार लेकर किसी भी टैक्सी में बैठ सकेंगे। माना जा रहा है कि यह आदेश आईएसआईएस के आतंकियों पर रोक लगाने के इरादे से जारी किया गया है। इस राज्य को आईएस का गढ़ माना जाता है और यहां तालिबान और आईएस के बीच आए दिन खूनी जंग हो रही है।

सुरक्षा के लिहाज से उठाया गया कदम
नांगरहार में तालिबान के ऑफिस की तरफ से जारी बयान में कहा गया- राज्य में सुरक्षा को और सख्त किए जाने की जरूरत है। लिहाजा, टैक्सी चालकों को यह आदेश दिया जाता है कि वे किसी भी हथियारबंद व्यक्ति को अपनी गाड़ी में न बैठने दें। अगर वो व्यक्ति तालिबान या उसके किसी संगठन का है तो उसे जरूर बैठने दें।
टैक्सी चालकों से ये भी कहा गया है कि अगर वे किसी संदिग्ध व्यक्ति को देखते हैं, या किसी गैर तालिबानी को हथियारों के साथ देखते हैं तो इसकी सूचना पास के किसी तालिबानी पोस्ट या सुरक्षाकर्मी को जरूर दें।

क्या है मकसद
नांगरहार में लंबे वक्त से ISIS-K यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान ग्रुप का प्रभाव रहा है। तालिबान और ISIS-K के बीच कट्टर दुश्मनी है। हाल के दिनों में ISIS-K ने तालिबान के कई ठिकानों और देश के दूसरे हिस्सों में हमले किए हैं। इसके बाद से तालिबान ने नांगरहार में इस ग्रुप के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया है। सर्दियों में यह टकराव और ज्यादा तेज होने के आसार हैं।

खास बात यह है कि रविवार को जारी आदेश में तालिबान ने किसी आतंकी संगठन का नाम नहीं लिया है। हालांकि, कुछ दिनों पहले काबुल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तालिबान प्रवक्ता ने साफ कर दिया था कि ISIS-K उनके और मुल्क के अमन के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

क्या है ISIS-K?
ISIS-K का नाम उत्तरपूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में आने वाले क्षेत्र के नाम पर रखा गया है। यह संगठन सबसे पहले 2014 में पूर्वी अफगानिस्तान में सक्रिय हुआ। यहां से इसने बेरहमी और क्रूरता की पहचान बनाई।

कहां हुई ISIS-K की शुरुआत?
पाकिस्तान के सैकड़ों तालिबानी इस संगठन के साथ जुड़े और चरमपंथी हमलों को अंजाम दिया। जब सेना की मदद से इन्हें निकाला गया तो ये अफगानिस्तान की सीमा पर आ गए और फिर यहीं से ऑपरेट करने लगे। ताकत इसलिए बढ़ती गई, क्योंकि तालिबान पश्चिमी देशों और सोच के प्रति नरम होता गया। ऐसे में तालिबान के असंतुष्ट लड़ाके ISIS-K में जाने लगे।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक, ISIS-K में सीरिया और दूसरे विदेशी चरमपंथी संगठनों के कुछ आतंकी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में इस समूह के 10 से 15 प्रमुख आतंकियों की पहचान की है। ISIS-K में अफगानियों समेत दूसरे आतंकी समूहों से पाकिस्तानी और उज्बेकिस्तान के आतंकी शामिल हैं।

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