भाजपा मंत्री को सुप्रीम कोर्ट की लताड़, कहा – “माफी स्वीकार नहीं करेंगे”.. SIT गठित.. हो सकती है गिरफ्तारी !

भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी कर घिरे मध्य प्रदेश के भाजपा मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट ने आज करारा झटका दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह सेना की गरिमा से जुड़ा मामला है और केवल माफी मांगना काफी नहीं है। कोर्ट ने विजय शाह की गिरफ्तारी पर रोक जरूर लगाई है, लेकिन साथ ही एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी के गठन का आदेश भी दिया है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर मंत्री विजय शाह की टिप्पणी
मामला सेना के एक अहम अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ा है, जिसकी प्रेस ब्रीफिंग महिला अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी ने की थी। इस दौरान भाजपा नेता और मंत्री विजय शाह ने सार्वजनिक मंच से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जो सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर वायरल हो गई। उनके इस बयान को न सिर्फ सेना का अपमान माना गया, बल्कि महिला अधिकारी के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला भी कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: ‘माफी स्वीकार नहीं करेंगे’
आज जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई, तो मंत्री विजय शाह के वकील ने माफी की बात कही। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा –
“आप एक सार्वजनिक पद पर हैं, आपको सोच-समझकर बोलना चाहिए। यह कोर्ट की अवमानना का मामला नहीं, बल्कि भारतीय सेना के सम्मान का प्रश्न है। हम आपकी माफी स्वीकार नहीं करेंगे।”
कोर्ट ने पूछा – माफी कब और कहां मांगी?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विजय शाह के वकील से तीखे सवाल पूछे।
“आप कहते हैं आपने माफी मांगी, तो वह माफी कहां है? वीडियो कहां है? आपने 12 तारीख को बयान दिया था और आज 19 तारीख है, इतने दिनों में आपने माफी क्यों नहीं मांगी?”
कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या किसी ने माफी मांगने से रोका था? इस सवाल से विजय शाह की मंशा और गंभीरता पर सवाल खड़े हो गए।
तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। यह कमेटी वरिष्ठ IPS अधिकारियों की होगी, जिसमें एक महिला अधिकारी भी शामिल की जाएगी। यह कमेटी मामले की निष्पक्ष जांच करेगी और रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।
गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक, लेकिन जांच होगी
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि विजय शाह की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जा रही है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह क्लीन चिट पा गए हैं। जांच के बाद रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। कोर्ट ने राज्य सरकार से भी पूछा है कि हाईकोर्ट द्वारा दिए गए FIR को फिर से दर्ज करने के आदेश के बाद क्या कदम उठाए गए?