जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ नहीं होगी FIR ? याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, दी ये सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। यह मामला उनके सरकारी आवास से नकदी की बरामदगी से जुड़ा है, जहां आग लगने की घटना के बाद जली हुई मुद्रा पाई गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास पहले प्रतिनिधित्व दाखिल करने की सलाह दी है।
जली हुई नकदी बरामदगी का मामला, याचिका में FIR की मांग
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने का गंभीर मामला सामने आया था। इस घटना के संदर्भ में एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: पहले राष्ट्रपति और पीएम से करें संपर्क
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति अभय एस ओका कर रहे थे, ने साफ शब्दों में कहा कि याचिकाकर्ता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर करने से पहले संबंधित संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों – राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री – को इस मामले में प्रतिनिधित्व नहीं सौंपा। पीठ ने कहा,
“आप पहले उन अधिकारियों के समक्ष प्रतिनिधित्व दाखिल करें जो उन्हें कार्रवाई के लिए कह रहे हैं, फिर रिट दाखिल करें।”
इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से मना कर दिया।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपी गई जांच रिपोर्ट
इस मामले में यह भी उल्लेख किया गया कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ की गई प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट पहले ही भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी जा चुकी है। ऐसे में, सुप्रीम कोर्ट ने इसे कार्यपालिका का दायरा मानते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
गेटवे ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में सुनवाई के लिए हामी भर दी है। यह मामला गेटवे ऑफ इंडिया के पास यात्री जेटी और टर्मिनल सुविधाओं के निर्माण से जुड़ा है। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार करने के आदेश के खिलाफ स्थानीय निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
स्थानीय निवासियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें निर्माण के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों का हवाला दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई की सहमति दी है और अगली सुनवाई अगले सप्ताह के लिए निर्धारित की है।
न्यायपालिका की गरिमा और कानूनी प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट का जोर
सुप्रीम कोर्ट के इन दो निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि देश की सर्वोच्च अदालत संवेदनशील मामलों में न केवल प्रक्रिया का पालन करने पर जोर देती है, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखने के लिए भी तत्पर है। न्यायमूर्ति वर्मा से संबंधित मामले में कोर्ट ने जहां कार्यपालिका की भूमिका को प्राथमिकता दी, वहीं गेटवे ऑफ इंडिया के मामले में नागरिकों की चिंता को गंभीरता से लिया है।