चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, 48 घंटे में डाटा देने वाले फैसले पर लगाई रोक

एनजीओ के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका को दाखिल किया गया था जिसमें मांग की गई थी कि मतदान होने के बाद 48 घंटे के अंदर उसका डाटा पेश किया जाए इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरीके से रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट में डाटा सार्वजनिक किए जाने पर हुई बहस

सुप्रीम कोर्ट में एनजीओ के द्वारा 2019 की जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन को दायर किया था। जिसमें बताया गया था कि चुनाव आयोग 48 घंटे के अंदर मतदान के सार्वजनिक डाटे को शेयर करें। इस पर आज सुप्रीम कोर्ट से फैसला भी सामने आया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस चरण में हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को लंबित रखा है और कहा कि चुनाव के बाद उचित बेंच इसपर सुनवाई करेगा। चुनाव के वक्त किसी भी तरीके की बाधा न हो इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा हम भी जिम्मेदार नागरिक हैं और हमें संयमित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

चुनाव आयोग ने दी चुनौती

मतदान के 48 घंटे बाद डाटा को सार्वजनिक किए जाने के मामले में जब सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई तब चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखा और 48 घंटे के भीतर वोट प्रतिशत सार्वजनिक किए जाने की मांग का विरोध किया है। चुनाव आयोग ने फॉर्म 17C को सार्वजनिक किए की याचिकाकर्ता की मांग का विरोध किया। इस मामले में चुनाव आयोग ने आगे कहा फॉर्म 17 सी के तहत केवल मतदान एजेंट को ही इसका प्रतिशत बताया जाता है दूसरे किसी अन्य व्यक्ति को या फिर संस्थाओं को आंकड़ा नहीं बताया जा सकता है। आयोग ने कहा कि दाखिल यात्रा के तहत किसी भी तरीके का डाटा उजागर करना बिल्कुल ही ठीक नहीं है। अगर इसको उजागर किया जाएगा तो उसके साथ छेड़छाड़ भी हो सकती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है जिसकी वजह से चुनाव आयोग को एक बड़ी राहत मिली है।

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