‘Skin to skin contact’ वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक…

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा स्किन टू स्किन (Skin to Skin Contact) फैसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी है। रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट (High Court) से इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। 

इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सीजीआई (CJI) से कहा कि हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी तलब की जाएगी। बताया जा रहा है कि अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में इस मामले को उठाया।

इस बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले में कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया था। यह आरोपी पॉक्सो के तहत गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने स्किन टू स्किन कांटेक्ट न होने को आधार बनाते हुए इस आरोपी को बरी कर दिया था। इसी फैसले पर अटॉर्नी जनरल ने सवाल उठाया और इसे खतरनाक बताया। जसके बाद सुप्रीमकोर्ट ने इस फैसले पर रोक लग दी।

बता दें यह मामला  दिसम्बर 2016 का है जब एक 39 वर्षीय आरोपी खाने की चीज देने के लालच में एक 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची को अपने घर आता है। उसके बाद उस पर आरोप है कि उसने बच्ची के सीने को गलत तरीके से छुआ है। उसकी मां ने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी।

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को पारित एक आदेश में कहा कि यौन हमले का कृत्य माने जाने के लिए ‘‘यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना’’ जरूरी है। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है।

जस्टिस गनेडीवाला ने एक सत्र अदालत के फैसले में संशोधन किया जिसने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीडऩ करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। अभियोजन पक्ष और नाबालिग पीड़िता की अदालत में गवाही के मुताबिक, दिसंबर 2016 में आरोपी सतीश नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने अपने घर ले गया।

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