तो क्या कर्नाटक में कांग्रेस जीतेगी?

कर्नाटक। कर्नाटक विधानसभा चुनावी बिगुल आधिकारिक रूप से बज चुका है यानी इस राज्यमें चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग के अनुसार, 10 मई को यहां मतदान होगा और 13 मई को नतीजे आएंगे।
इधर, एबीपी न्यूज सीवोटर ने सर्वे किया है। इस सर्वे में 24 हजार 759 लोगों की राय ली गई है। सर्वे में कर्नाटक के सीएम के तौर पर पहली पसंद सिद्धारमैया को बताया गया है। उन्हें 39 प्रतिशत जनता ने अपनी पहली पसंद बताया है। वहीं बसवराज बोम्‍मई 31 प्रतिशत जनता की पसंद बनकर दूसरे नंबर पर हैं। इसी तरह कुमारस्वामी को 21 प्रतिशत लोगों का, डीके शिवकुमार को 3 प्रतिशत लोगों का ही समर्थन मिला है। सर्वे में 3 प्रतिशत लोग आम आदमी पार्टी के समर्थन में बताए गए हैं। दिलचस्‍प पहलू यह है कि इसमें कांग्रेस को बढ़‍त दी गई है। 224 सीटों में कांग्रेस 115-127 सीटें पाती द‍िख रही है। वहीं, बीजेपी को 68 से 80 सीटें मिल सकती हैं। ग्रेटर बेंगलुरु रीजन में भी कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है। इसमें 32 सीटें हैं। यहां कांग्रेस को 15-19 सीटें दी गई हैं। वहीं बीजेपी का कांटा 11-15 सीटों तक सिमट रहा है। जेडीएस को अधिकतम 3 सीटों में संतोष करना पड़ सकता है।
प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के सामने अपनी सरकार बचाने की चुनौती है, तो वहीं कांग्रेस इस बार सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस को आशा है कि राहुल गांधी का निलंबन कर्नाटक में कांग्रेस के लिए ब्रह्मास्त्र साबित होगा हालांकि उसके लिए हमें अभी इंतजार करना होगा।
चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा और कांग्रेस दोनों की ओर से दावों का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री बसवराज को यकीन है कि पार्टी एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ वापसी करेगी, तो वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार कह रहे हैं कि कांग्रेस पूरी तरह तैयार है भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी और इस बार भी कांग्रेस पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी।
हालांकि दोनों मुख्य सियासी दलों के यह अपने-अपने दावे हैं जबकि एचडी कुमारास्वामी और केजरीवाल को भी इस दंगल में शामिल होना है अब राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठता है। इसके लिए हमें 13 मई तक इंतजार करना होगा।
दरअसल, 25 फीसदी लोगों का मानना है कि राज्य में ध्रुवीकरण होगा। 15 प्रतिशत का मानना है कि कावेरी जल विवाद मुद्दा रहेगा। 31 प्रतिशत लोगों का मानना है कि लिंगायत आरक्षण+हिजाब मुद्दा रहेंगे। 13 प्रतिशत का कहना है कि राज्य सरकार के कामों के आधार पर वोटिंग होगी। वहीं 7 प्रतिशत लोग राष्ट्रवाद को, 6 प्रतिशत कानून व्यवस्था को मुद्दा मान रहे हैं।

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