शिवपाल यादव को चुनाव आयोग से लगा बड़ा झटका, लगाया जा रहा ये कायस

शिवपाल के समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न से चुनाव मैदान में उतरने के कायस

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर जमकर तैयारिया चल रही है। वही  शिवपाल सिंह यादव को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का चुनाव चिह्न हरियाणा की जननायक जनता पार्टी को जारी कर दिया है। चाबी चुनाव चिह्न न मिलने से उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले शिवपाल सिंह यादव को करारा झटका लगता दिख रहा है। असल में चाबी चुनाव चिह्न के जरिये शिवपाल सिंह यादव ने 2019 लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की ताकत दिखाई थी। जननायक जनता पार्टी को राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा दे दिए जाने से चाबी चुनाव चिह्न उस पार्टी को दे दिया गया है।

राज्य स्तरीय पार्टी को चाबी चुनाव चिह्न दिया

बता दे कि हरियाणा में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने वाली जननायक जनता पार्टी को राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। जननायक जनता पार्टी के नेता अजय चौटाला और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव 2019 से पहले इनेलो से अलग होकर जननायक जनता पार्टी बनाई थी। हरियाणा में सरकार का हिस्सा बनने के बाद भारतीय चुनाव आयोग ने राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा देते हुए उसे चाबी चुनाव चिह्न दे दिया। अब प्रदेश में किसी अन्य दल या प्रत्याशी को यह चुनाव चिह्न आवंटित नहीं किया जाएगा।

चुनाव से पहले सपा में वर्चस्व को लेकर संघर्ष शुरू

ऐसे में अटकलें हैं कि शिवपाल यादव की पार्टी विधानसभा चुनाव साइकिल चुनाव चिह्न पर ही लड़ेगी। प्रसपा से टिकट चाहने वालों में से भी ज्यादातर साइकिल चुनाव चिह्न से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा में वर्चस्व को लेकर संघर्ष शुरू हुआ था। अंततः सपा पर अखिलेश यादव का पूरा अधिकार रहा, वहीं शिवपाल ने वर्ष 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल की पार्टी को चुनाव आयोग ने चाबी चुनाव चिह्न आवंटित किया था। चाबी चुनाव चिह्न के साथ लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरी प्रसपा को महज 0.31 प्रतिशत वोट मिले थे।

प्रसपा पिछले दो वर्ष से चाबी चुनाव चिह्न को लेकर ही प्रचार कर रही थी। ऐसे में अब मिलने वाले नए चुनाव चिह्न को लेकर प्रदेशवासियों के बीच जगह बनाना प्रसपा के लिए कहीं और कठिन होता दिख रहा है। शिवपाल के सामने प्रसपा के अस्तित्व को बचाए रखने की बड़ी चुनौती होगी।

सपा के चुनाव चिह्न से चुनाव मैदान में उतरने के कायस

वर्ष 2017 में शिवपाल सिंह यादव सपा के सिंबल पर ही चुनाव लड़े थे। ऐसे में एक बार फिर से शिवपाल के समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न से चुनाव मैदान में उतरने के कायस लगाये जा रहे हैं और जीतने पर वह सपा के ही विधायक कहलाएंगे। भविष्य में यदि किसी कारण से शिवपाल व अखिलेश में फिर टकराव की स्थिति आती है तो शिवपाल ही अलग-थलग रह जाएंगे। यह बिलकुल वैसे ही होगा जैसे वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल जसवंतनगर सीट से सपा के टिकट से चुनाव जीतने पर हुई थी। अलग पार्टी बनाने के बावजूद वे आज भी सपा के ही एमएलए कहला रहे हैं।

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