शाही मस्जिद ईदगाह ने रिसीवर रखने की उठायी मांग

मथुरा, उत्तर प्रदेश में मथुरा के कटरा केशवदेव मन्दिर की भूमि के एक भाग पर बनी शाही मस्जिद को हटाने संबंधी मथुरा की अदालतों में दायर वादों में एक वादी शाही मस्जिद ईदगाह में रिसीवर की नियुक्ति करने की प्रार्थना की गई है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 22 मार्च की तिथि निर्धारित की है।


अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह समेत पांच लोगों द्वारा दायर वाद में सिविल जज सीनियर डिवीजन नेहा बनौदिया की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर शाही मस्जिद ईदगाह के लिए एक रिसीवर की नियुक्ति करने की मांग की गई है।

रिसीवर की नियुक्ति के पीछे दलील यह दी गई है कि सत्रहवीं शताब्दी में औरंगजेब ने मन्दिर तोड़कर उसी की सामग्री से शाही मस्जिद ईदगाह बनवाई थी तथा मस्जिद में मन्दिर के चिन्हों से संबंधित सामग्री अब भी मौजूद है । आरोप है कि इन्हे शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी एवं सुन्नी वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं।


अधिवक्ता सिंह ने इस प्रार्थना पत्र में कहा है कि मस्जिद में मौजूद मन्दिर के निशानों की सुरक्षा के लिए रिसीवर की नियुुक्ति आवश्यक है। प्रार्थनापत्र में मस्जिद की व्यवस्था करने वाले लोगों को हटाकर रिसीवर की नियुक्ति करने को कहा गया है। वाद में यह भी कहा गया है कि उक्त दोनो पार्टियां यदि मस्जिद से मन्दिर के चिन्ह हटाने में सफल हो गईं तो वादी का बहुत अधिक नुकसान होगा।

इसके पूर्व अधिवक्ता सिंह ने इन्ही चिन्हों की सूची तैयार करने के लिए मस्जिद के लिए एक अमीन भी भेजने का अनुरोध किया था जिस पर अदालत ने अभी तक कोई निर्णय नही लिया है। अधिवक्ता सिंह ने शुक्रचार को ही अदालत में एक और प्रार्थनापत्र देकर भारतीय पुरातत्व विभाग से भी मस्जिद में मौजूद मन्दिर के चिन्हों कीे जांच कराने का अनुरोध किया है

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क्योंकि ऐसे चिन्हों की जांच के लिए यह विशेषज्ञ संस्था है। इस वाद में अभी तक तो कटरा केशव देव मन्दिर की 13 दशमलव 37 एकड़ भूमि के एक भाग में बनी शाही मस्जिद ईदगाह को ही हटाने की मांग हो रही थी किन्तु अब नई नई मांगे उठने लगी हैं तथा विभिन्न अदालतों में दायर पांचो वाद पेंचीदे होते जा रहे है।


इस संबंध में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता नीरज शर्मा ने कहा कि चूंकि इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 22 मार्च निर्धारित की गई है इसलिए उसदिन वे अधिवक्ता सिंह के द्वारा दायर प्रार्थनापत्र की कापी अदालत से अनुरोध कर प्राप्त करेंगे और बाद में उसका जवाब दाखिल करेंगे । बहस होगी तभी निर्णय होगा कि उक्त दोनो मांगें कहां तक उचित हैं।

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